मज़ेदार

बन्दूक और बम से नहीं साहब माँ के देसी हथियार चप्पल और बेलन से लगता है डर

माँ के देशी हथियार – बचपन में आप सभी अपने माँ के हाथ से पिटे होंगे.

कुछ लोग तो अभी तक पिट रहे होंगे. यकीन न हो तो ज़रा कोने में बुलाकर अपने दोस्तों से ये बात पूछें. आपको खुद ही पता चल जाएगा. असल में बचपन में माँ की आँख ही काफी होती थी डराने के लिए. ज़रा याद कीजिए वो पल जब आपके बदमाशी पर बस किचेन से ही आवाज़ आती थी और आप डर जाते थे.

माँ जब मारती है तो दुनिया शांत रहती है. माँ के मारने से बड़े से बड़े भूत भी भाग जाते हैं. दुनिया का हर भूत माँ के इस देसी हथियार से बहुत डरता है. ये देसी हथियार इतने कारगर होते हैं कि बचपन में खायी मार जवानी क्या बुढ़ापे तक याद रहती है.

चलिए, एक बार आप भी अपनी माँ के देशी हथियार को याद कर लीजिए.

माँ के देशी हथियार –

इसे कहते हैं डंडा. वैसे तो ये कुछ नहीं है, लेकिन जब ये माँ के हाथ में था बचपन में तो आप गाय  की तरह कांपते थे. आप ही नहीं आपके दोस्त भी इस डंडे को एक बार देख लेने पर आपके घर दोबारा नहीं आते थे.

बेलन. ये एक ऐसा हथियार है, जो बचपन में माँ के हाथ में और जवानी में बीवी के हाथ में होती है. तब भी डर लगता था और आज भी. वो बदनसीब लोग आज भी बेचारे बने हैं जिनकी बीवी बात बात पर बेलन लेकर खड़ी हो जाती है. रोटी बनाने का ये औजार जब माँ के हाथों में आता है तो वो दुर्गा और काली नज़र आती है.

चप्पल वो अचूक हथियार है, जिसका ज़िक्र भले ही शास्त्रों में नहीं मिलता, पर ज़्यादातर भारतीय मां के हथियारों की लिस्ट में चप्पल किसी मिसाइल की तरह काम करता है. इसका सबसे बड़ा फ़ायदा ये है कि इसका इस्तेमाल करके मां दूर से भी बच्चे तक अपनी बात पहुंचा सकती है.

पानी की बोतल तो ऐसे माँ फेंकती थी, जैसे उसे क्रिकेट खेलना आता हो. निशाना भी क्या खूब लगता था. किचन से सीधे ये पानी की बोतल आपको ही लगती थी.

रोटी बनाने का ये औज़ार आपको इतना डरा के रखता था, ये आप ही जानते हैं. माँ भी बड़ी ही अजीब होती हैं. गुस्सा आने पर चिमटा जलाकर बच्चों को दाग देती थी. अक्सर माँ जलते हुए चिमटे से बच्चे को डराती है. आज भी ये हथियार गाँव और शहर दोनों जगह प्रयोग में लाया जाता है.

इससे सिर्फ भगवान् को जल ही नहीं चढ़ाया जाता, बल्कि मौके पर माँ इसका इस्तेमाल आपको पीटने के लिए भी करती है. लोटा फेंककर जब माँ मारती है तो साड़ी बदमाशी छूमंतर हो जाती है. वैसे ये हथियार गाँव में ज्यादा प्रयोग में लाए जाते हैं.

ये है माँ के देशी हथियार – वैसे एक बात तो तय है, जिसे बचपन में इन हथियार से चोट नहीं पड़ी, वो बड़े होकर बन्दूक और बम से भी नहीं डरते. बहुत नसीब वाले होते हैं वो लोग जिन्हें बचपन में इन हथियारों से मार पड़ती है. बचपन में इन हथियारों से मार खाने के बाद सारी जिंदगी गलत राह पर नहीं चलता.

Shweta Singh

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