दिसम्बर 2012 में निर्भया कांड के बाद लगा था कि जैसे पूरा भारत जाग गया है. प्रशासन से लेकर आम जनता तक सबमे रोष के साथ साथ समाज को बदलने की ललक भी दिखाई दे रही थी.
लेकिन उस घटना को 4 साल बीतने के बाद भी कुछ नहीं बदला है. निर्भय कांड के बाद भी जो विरोध, मोमबत्ती जलना या जो प्रदर्शन हुए थे वो भी झूठे बेमानी ही लगते है क्योंकि 2015 में निर्भय काण्ड फिर से दोहराया गया वो भी पिछली बार से ज्यादा पाशविक तरीके से लेकिन ना हमारे सजग मीडिया ने उसे खास खबर बनाया ना लोगों के कान पर जूं रेंगी.