अभी तक आप ने छेड़छाड़ को लेकर दंगा कराने में मनुष्य की भूमिका के बारे में ही सुना और पढ़ा होगा.
लेकिन क्या कभी आपने सुना है कि किसी बंदर ने किसी लड़की को छेड़ा हो और उसके बाद पूरे शहर में दंगा हो गया हो.
अफ्रीका के लीबिया देश में एक ऐसा ही हादसा हुआ, जहां एक स्कूली लड़की पर बंदर के हमले के बाद लीबिया के सभाह शहर में भयंकर तनाव और हिंसा छिड़ गई है.
इस हिंसा में करीब 20 लोगों की जानें चली गई हैं और 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं.
दरअसल, दक्षिणी लीबिया की दो प्रमुख जनजातियों गद्दाफा और अवलाद सुलेमान के बीच उस वक्त हिंसा भड़क गई जब गद्दाफा जनजाति के एक दुकानदार के पालतू बंदर ने अवलाद सुलेमान जनजाति की एक लड़की पर हमला कर दिया.
अलजजीरा की खबरों के मुताबिक एक बंदर ने स्कूल जा रही लड़कियों के एक समूह पर धावा बोल दिया था. बंदर ने अलवाद जनजाति की एक लड़की का हेडस्कॉर्फ खींच लिया और उसके बाद उस पर हमला बोलते हुए काटकर घायल कर दिया. हमला करने वाला बंदर गद्दाफा जनजाति के एक दुकानदार का था.
इससे गुस्साए अलवाद सुलेमान जनजाति के लोगों ने गद्दाफा जनजाति पर धावा बोल दिया और बंदर समेत गद्दाफा जनजाति के 3 लोगों को मौत के घाट उतार दिया.
इसके बाद क्षेत्र में हिंसा भड़क गई.
बताया जाता है कि गद्दाफा और अलवाद सुलेमान जनजाति उत्तरी लीबिया की दो दबंग जनजाति हैं. दोनों ही जनजातियां भारी-भरकम हथियारों से लैस हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभी तक जारी हमलों के दौरान टैंक, रॉकेट्स, मोर्टार और कई भारी हथियार लड़ाई में इस्तेमाल किया जा रहा है. गौरतलब है कि लीबिया का सभाह शहर का यह पूरा इलाका हथियारों के अवैध धंधे और स्मगलिंग के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है.
लड़की के ऊपर हुए इस हमले के बाद लीबिया में शुरू हुई इस हिंसा में कम से कम 20 लोगों की जानें चली गई हैं और 50 से ज्यादा लोग गंभीर से रूप से घायल हो गए हैं. जानकारों का कहना है कि इस हिंसा में मौतों का आंकड़ा और भी बढ़ सकता है क्योंकि अभी तक केवल अवलाद सुलेमान समूह के मरने वालों की ही गिनती हुई है. जबकि गद्दाफा जनजाति को हुए जान माल के नुकसान की जानकारी अभी नहीं मिल सकी है.
गौरतलब है कि गद्दाफा और अवलाद सुलेमान समुदायों के बीच पिछले कई सालों से तनाव चल रहा है. वहीं दूसरी ओर बताया जाता है यह घटना रविवार की है. लेकिन घटना के तीन दिन बाद भी वहां हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं और गद्दाफा और अवलाद सुलेमान जनजातियों के बीच शुरू हुआ संघर्ष अभी तक जारी है.