मोखड़ाजी गोहिल – 22 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भावनगर जिले के घोघा बंदरगाह में रो-रो सर्विस की शुरुआत की है। इस दौरान लोगों से बात करते हुए मोदी जी ने एक शख्स का कई बार जिक्र किया और उनकी शान में जनता से नारे भी लगवाए।
मोदी द्वारा जिनकी तारीफ की गई वो थे मोखड़ाजी दादा जिनका कभी घोघा राज्य पर शासन हुआ करता था।
आइए जानते हैं मोखड़ाजी दादा यानि मोखड़ाजी गोहिल के बारे में कुछ बातें -:
मोखड़ाजी गोहिल –
– खेहरगढ़ के सेजाकाजी गोहिल के वंशज मोखड़ाजी दादा का पूरा नाम मोखड़ाजी गोहिल था।
– इनके पूर्वज राजस्थान से विस्थापित होकर सौराष्ट्र आए थे।
– दिल्ली पर तुगलक वंश के शासन के दौरान 1309 से 1347 के बीच इन्होंने शासन किया था।
– अहमदाबाद की एक छोटी सी जागीर धौलेरा के राजा धनमेर ठाकोर ने बुढ़ापे में अपना राज्य मोखड़ा जी को सौंप दिया था और खुद हिमालय चले गए थे।
– दिल्ली की यात्रा करने पर उन्होंने तुगलक शासन से टक्कर लेने का फैसला किया।
– अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए मोखड़ाजी ने अपने साम्राज्य का विस्तार किया। इसलिए उन्होंने घोघा पर कब्जा कर लिया और पिराम द्वीप को अपनी राजधानी बनाया।
– मोखड़ा जी ने अपने साम्राज्य को इतना मजबूत कर लिया था कि तुगलक वंश को इससे भय होने लगा था। तुगलक की सेना ने मोखड़ाजी की राजधानी पिराम को चारों तरफ से घेर लिया था। समुद्री तट से तुगलक सेना को लड़ने की आदत नहीं थी इसलिए वो हार गई।
– इसके बाद मोहम्मद बिन तुगलक ने खुद युद्ध लड़ा और पिराम के चारों ओर अपनी सेना फैला दी।
– इस जंग में मोखड़ा जी की सेना तुगलकी सैनिकों के आगे नहीं टिक पाई और खुद मोखड़ा जी की गर्दन कट गई और वो शहीद हो गए।
– आज भी घोघा में उनकी वीरता की कहानी सुनाई जाती है। समुद्र तट पर उनके मंदिर बने हैं। यहां मछली पकड़ने वाले मछुआरे पहले मोखड़ा जी को नारियल चढ़ाते हैं और फिर नावें लेकर उतरते हैं।
मोखड़ाजी गोहिल – इन्हीं के नाम का जिक्र मोदी जी ने रो-रो सर्विस लॉन्च करते वक्त किया है।