पाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति और सबसे बड़े नेता मोहम्मद अली जिन्ना के प्यार और शादी की कहानी बड़ी ही दिलचस्प थी।
आपको बता दें कि वरिष्ठ पत्रकार शीला रेड्डी ने पिछले दिनों एक बुक में जिन्ना के जीवन के कई खुलासे किये है। इस बुक का नाम ‘मिस्टर एंड मिसेज जिन्ना द मैरिज दैट शूक इंडिया’ है।
इस बुक में एक 16 साल की लड़की रूट्टी और 40 साल के जिन्ना की शादी की दिलचस्प बातें लिखी है।
जब जिन्ना को पारसी लड़की रूट्टी से प्यार हुआ तो वह उस समय जिन्ना से 24 साल छोटी थी।
मोहम्मद अली जिन्ना ने रूट्टी के पिता दिनशा मनेकजी पेटिट के सामने अपने बैरिस्टर कौशल का इस्तेमाल करते हुए रूट्टी का हाथ माँगा था। जब जिन्ना की रूट्टी के पिता से बात हो रही थी तब उन्होंने उनसे अंतर समुदाय विवाह के बारे में रुख पूछा। तो दिनशा ने कहा कि यह देश की एकता और अखंडता के लिए सही बात है। जिसके बाद जिन्ना ने अगला सवाल किया और कहा कि मैं आपकी बेटी से विवाह करना चाहता हूँ। ये बात सुनकर दिनशा गुस्सा हो गए और उन्होंने जिन्ना को दरवाजे से बाहर फेंकवा दिया था।
उस रूट्टी सिर्फ 16 वर्ष की थी जो ना जाने कैसे अपने पिता की उम्र के आदमी के प्यार में पड़ गई थी।
अक्सर रूट्टी अखबारों में जिन्ना के बारे में पड़ा करती थी और वो मोहम्मद अली जिन्ना को पसंद करने लगी थी और जिन्ना से शादी करना चाहती थी लेकिन क़ानूनी रूप से शादी के लिए दो वर्ष का इंतेजार करना पड़ा। फिर 1918 में जब रूट्टी 18 साल की हुई तब मुंबई के जिन्ना हाउस में दोनों की शादी हुई।
बताया जाता है कि इस शादी में रूट्टी के परिवार का कोई भी सदस्य शामिल नहीं हुआ था। रूट्टी ने इस शादी के लिए इस्लाम धर्म कबूला और अपना नाम मरियम रख लिया था।
इस शादी के कुछ ही दिनों बाद मोहम्मद अली जिन्ना अपनी वकालत में पूरी तरह से मशगूल हो गए और उनके पास रूट्टी के लिए टाइम ही नहीं रहता था।
रूट्टी और जिन्ना अब सिर्फ दिखाने के लिए ही पति-पत्नी रह गए थे। एक तरफ रूट्टी के परिवार की बेरुखी और दूसरी तरफ जिन्ना की व्यस्तता से दुखी होकर रूट्टी ने शराब को अपना साथी बना लिया। कहा जाता है कि आखिरी वक्त में तो वह जिन्ना का घर छोड़कर चली गई थी। बाद में सिर्फ 29 वर्ष की उम्र में ही रूट्टी की कैंसर से मौत हो गई। रूट्टी ने अपने पति जिन्ना को आखिरी लिखे ख़त में भी अपना गुस्सा जाहिर करते हुए लिखा था ‘मुझे उस फुल के तौर पर याद करना जिसे तुमने तोड़ा है न कि उस फुल के तौर पर जिसे तुमने कुचल दिया है।’
रूट्टी की मौत से जिन्ना इतने टूट गए कि उन्होंने अब खुद को राजनीति और वकालत के लिए ही समर्पित कर दिया।
अब उनका एक ही मकसद रह गया था खुद को गाँधी और नेहरु के समकक्ष का लीडर साबित करना। इसके लिए उन्होंने इस्लाम का नारा दिया और भारत का बंटबारा करके पाकिस्तान निर्माण किया और उसके प्रमुख बन गए।
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