इतिहास की प्राचीन सभ्यताओं में सिंधु घाटी की सभ्यता को सबसे पुरानी और प्राचीन माना जाता है.
सिंधु घाटी की सभ्यता के बारे में जब भी ज़िक्र होता है तो उसके दो प्रमुख नगरों हड़प्पा और मोहनजो दड़ो की बात ज़रूर की जाती है.
मोहनजो दड़ो के इतिहास को जानने की चाह लगभग हर किसी के दिल में होती है. आज मोहनजो दड़ो की इमारतें भले ही खंडहर में तब्दील हो चुकी है लेकिन शहर का प्राचीन इतिहास जानने के लिए ये खंडहर ही काफी हैं.
कई इतिहासकारों का मानना है कि मोहनजो दड़ो सिंघु घाटी सभ्यता में पहली संस्कृति है जो कि कुएँ खोद कर भू-जल तक पहुंची थी.
जानिए मोहनजो दड़ो से जुड़ी 10 दिलचस्प जानकारियां-
1 – मुर्दों का टीला
सिंधी भाषा में मोहनजो दड़ो का अर्थ है ‘मुर्दों का टीला’ कहा जाता है कि पहले इस प्राचीन नगर को ‘मोयन जो दड़ो’ के नाम से जाना जाता था.
2 – सबसे पुराना नियोजित शहर
मोहनजो दड़ो को दुनिया का सबसे पुराना नियोजित शहर माना जाता है. यह सिंधु घाटी की सभ्यता का सबसे परिपक्व शहर है जिसके अवशेष सिंधु नदी के किनारे सक्खर ज़िले में मौजूद हैं जो आज पाकिस्तान के हिस्से में आता है.
3 – 1922 ई. में हुई खुदाई
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक जान मार्शल के निर्देश पर मोहनजो दड़ो की खोज करने के लिए राखालदास बनर्जी ने 1922 ई. में खुदाई का काम शुरु किया.
4 – सबसे प्राचीन सभ्यता
माना जाता है कि सिंधु घाटी की सभ्यता आज से करीब 4700 साल पुरानी है. मोहनजो दड़ो नगर 200 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला था. इस नगर में करीब 35000 के करीब लोग रहते होंगे. कहा जाता है कि यह शहर सात बार उजड़ा और उसे फिर से सात बार बसाया गया था.
5 – सबसे प्राचीन स्नानघर
यहां पर 8 फ़ीट गहरा, 23 फ़ीट चौड़ा और 30 फ़ीट लम्बा कुंड भी है. जिसमें वाटरप्रूफ ईंटें लगी हुई हैं. ऐसा माना जाता है कि इसका इस्तेमाल नहाने के लिए किया जाता था. यह विश्व का सबसे प्राचीनतम स्नानघर है जिसे अंग्रेजी में ग्रेट बाथ भी कहते हैं.
6 – ग्रीड पद्धति से घरों का निर्माण
इस शहर में निवासी घरों और नगरों के निर्माण के लिए ग्रीड पद्धति का इस्तेमाल किया जाता था. यहां बड़े घर, चौड़ी सड़के और बहुत सारे कुएं होने के प्रमाण हैं. इस शहर की गलियां खुली और सीधी थीं. यहां की सड़कें इतनी बड़ी हैं कि यहाँ आसानी से दो बैलगाड़ी निकल सकती हैं.
7 – भारत का सबसे पुराना लैंडस्केप
मोहनजो दड़ो की सड़कों और गलियों में आप आज भी घूम सकते हैं. यह शहर जहां था आज भी वहीं है. यहां की दीवारें आज भी मजबूत हैं. इसे भारत का सबसे पुराना लैंडस्केप कहा गया है. इस नगर के सबसे खास हिस्से पर बौद्ध स्तूप है.
8 – खुदाई में मिली नर्तकी की मूर्ति
यहां पर खुदाई के समय बड़ी मात्रा मे ईमारतें, धातुओं की मूर्तियाँ, और मुहरें आदि मिले हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है एक नर्तकी की मूर्ति.
9 – संग्रहालय में मौजूद हैं कई चीज़ें
मोहनजो दड़ो के संग्रहालय में कई ऐसी चीज़ें देखने को मिलती हैं, जो मोहनजो दाड़ो की कला को ज़ाहिर करती है. यहां मूर्तियों के अलावा काला पड़ गया गेहूं, तांबे और कासे के बर्तन, मुहर, चौपड़ की गोटियां, दिए, माप-तौल के पत्थर, तांबे का आईना, मिटटी की बैलगाड़ी और दूसरे खिलौने, दो पाटन वाली चक्की, कंघी, मिटटी के कंगन, पत्थर के औजार हैं.
10 – कृषि और पशुपालन था मुख्य व्यवसाय
खुदाई मे यह बात भी उजागर हुई है कि यहां खेती और पशुपालन की सभ्यता रही होगी. सिंध के पत्थर तथा राजस्थान के तांबो से बनाये गये उपकरण यहां खेती करने के लिये काम में लिये जाते थे. खुदाई के दौरान यहां गेहूँ, सरसो, कपास, जौ और चने की खेती के पुख़्ता सबूत मिले हैं.
ये थी मोहनजो दड़ो की जानकारियाँ. इन दिलचस्प जानकारियों से इतिहास काल की इस संस्कृति और सभ्यता के बारे में जानकारी मिलती है जो हमारे इतिहास को हम तक आसानी से पहुंचाने में मदद करती है.
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