मोदी के बयान से लगता है कि उरी आतंकी हमले में भारतीय सेना के 18 जवानों के शहीदत के बाद वे भारी दवाब के साथ गुस्से में भी है.
भले ही वे इसे जाहिर न कर रहे हो लेकिन उनके बयान बता रहे हैं कि मोदी इस बार पाकिस्तान से हिसाब जरूर बराबर करेंगे.
पठानकोट बेस पर हमले के बाद मोदी ने पाकिस्तान की टीम को भारत आकर जांच करने का मौका दिया था. लेकिन उस वक्त पाकिस्तान ने अपना असली रूप दिखाकर मोदी को झटका दिया था.
पाकिस्तानी टीम को भारत में जांच का मौका देकर मोदी ने अपने राजनीतिक जीवन का सबसे बड़ा जोखिम लिया था.
मोदी उस वक्त शक्ति से पहले एक बार शांति को अजमाकर दुनिया के देशों को कोई मौका देना नही चाहते थे. अब जब एक बार फिर पाक परस्त आतंकियों ने उरी में हमला कर मोदी को ललकारा है तो मोदी के पास पुराना हिसाब चुकता करने का भी मौका है. मोदी भी इसको बेकार नहीं जाने देंगे.
हमले के बाद दिए मोदी के बयान उपरी तौर पर भले ही सांकेतिक नजर आ रहे हो लेकिन उनके पीछे छिपे संकेत बता रहे हैं कि मोदी बदले को लेकर छटपटा रहे हैं.
प्रधानमंत्री मोदी उरी हमले के बाद से अपने विरोधियों के निशाने पर है. लोग उनके 56 इंच के सीने को लेकर ताने मार रहे हैं. लेकिन मोदी इतने दवाब के बावजूद अभी तक अपना धैर्य बनाए हुए है.
मोदी के बारे में यह भी प्रसिद्ध है कि उनकी जुबान से ज्यादा उनका काम बोलता है.
इसलिए राजनीतिक जानकारों को भी एहसास है कि मोदी जवाब दिए बिना चैन से नहीं बैठेंगे.
पाक की ओर से आई इस चुनौती को मोदी ने स्वीकार किया है उसका सबूत हैं उनका केरल में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में दिया भाषण.
मोदी का यह कहना कि पड़ोसी देश के हुक्मरान आतंकियों के लिखे भाषण पढ़ते हैं, लेकिन पाकिस्तान और आतंकी कान खोलकर सुन लें कि देश इसे भूलने वाला नहीं है, भारतीय जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा. भाषण के शब्द बताते हैं कि उन्होंने भाजपा के कार्यकर्ताओं से अधिक पाकिस्तान को ध्यान में रखकर बात कही हैं.
मोदी यहीं नहीं रूके उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भारत से हजार साल तक लड़ाई लड़ने की बात करता है तो फिर हमें भी चुनौती स्वीकार हैै. मोदी ने संकेतों में पाक को नसीहत के साथ चेतावनी भी थमा दी. प्रधानमंत्री ने बांग्लादेश का जिक्र करते हुए कहा कि कश्मीर का राग अलापते अलापते पाकिस्तान से उसका पूर्वी हिस्सा अलग हो गया. अब दोबारा वह फिर वही गलती दोहरा रहा है.
प्रधानमंत्री के तेवर बता रहे हैं कि वे पाकिस्तान को बक्ष्सने के मूड में कतई नहीं है. उन्होंने पाक के साथ सिंधु जल समझौते को तोड़ने के साफ संकेत दे दिए. उनका यह कहना कि खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते. हम इसको दर्शाता है कि वे पाक को लेकर गंभीर हैं.
मोदी का यह कहना कि आतंक के साथ कोई समझौता नहीं होगा.
जरूरत पड़ी तो सख्त कार्रवाई से भी एतराज नहीं होगा. इस बात का संकेत है कि मोदी अपने राजनीतिक जीवन का अभी तक का सबसे बड़ा जोखिम लेने को तैयार है.
मोदी के बयान से लगता है कि हिसाब जरूर चुकता होगा.