ऐसा आज तक भारत के इतिहास में कभी नहीं हुआ है जब देश के किसी प्रधानमन्त्री की देश समेत विश्वभर में वाह-वाही हो रही है.
देश में मोदी को विकास और आर्थिक क्रांति के लिए याद किया जा रहा है तो वहीं विश्व के कई देश भारत की बढ़ती शक्ति के लिए मोदी को याद कर रहे हैं. इसी क्रम में अब चीन भारत के प्रधानमंत्री से खफा होता हुआ नजर आ रहा है. चीन पिछले कुछ समय से मोदी की नजरों में इसलिए है क्योकि चीन ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का साथ नहीं दिया है और साथ ही चीन द्वारा पाकिस्तान का समर्थन भी मोदी को रास नहीं आ रहा है.
मोदी ने शायद अब यह कसम खा ली है कि चीन को सबक सिखाना है. वह चीन को भारत की ताकत का एहसास कराकर ही दम लेंगे.
साल 2012 में चीन और भारत के बीच आपसी व्यापार 66 अरब डॉलर का था. चीन ने भारत को लगभग 48 अरब डॉलर का सामान बेचा था. लेकिन अब देश भक्त भारत ने चीन के सामान से मुंह फेरना शुरू कर दिया है. भारत और चीन के बीच साल 2015 में 71.6 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ था. लेकिन अब हालात बदल रहे हैं और मोदी ने यह तय कर लिया है कि अब हम चीन के सामान पर रोक लगाकर चीन को उसकी औकात दिखायेंगे. इसी क्रम में जब मोदी ने जापान का हाल में दौरा किया तो चीन की तरफ से ब्यान आया था कि भारत को यह भी देखना होगा कि कहीं वह जापान की कठपुतली बनकर ना रह जाये.
चीन के इस बयान से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि चीन आखिर क्यों पागलों की तरह बर्ताव कर रहा है. चीन को इससे क्या मतलब कि भारत किस देश के साथ व्यापार करे किन्तु अब चीन को असली चिंता अपने व्यापार की है ना कि वह भारत की भलाई देख रहा है.
मोदी ने जापान के साथ किये यह समझौते-
भारत और जापान के बीच ऐतिहासिक असैन्य परमाणु करार पर हस्ताक्षर हुए हैं. जापान तकनीक को लेकर चीन से आगे निकलना चाहता है और इसी कारण से वह भारत के अन्दर बुलेट ट्रेन चलाने को बेताब है. जापान के लिए भी भारत बहुत बड़ी मार्किट है. प्रधानमन्त्री के इस जापान दौरे पर सिविल न्यूक्लियर डील हुई है और साथ ही साथ बुलेट ट्रेन की भी डील हो गयी है.
बताया जा रहा है मोदी जापान के साथ कुछ मुख्य 12 से 15 समझौते करके भारत आये हैं. इन समझौतों में तकनीक पर काफी जोर दिया गया है. अभी तक भारत तकनीक के लिए जैसे चीन पर निर्भर था किन्तु अब वह जापान के साथ मिलकर तकनीक का निर्माण करना चाहता है. सबसे अच्छी बात यह है कि अब मोदी ने जापान के रक्षा तंत्र को भी समझना शुरू कर दिया है. नरेन्द्र मोदी को पता है कि जापान के पास भी कुछ हथियार और रक्षा प्रणाली ऐसी है जो विश्वभर में जगह बनाये हुए हैं तो भारत की नजर जापान से वह सब हासिल करने की भी है और चीन को सबक सिखाना है.
एशिया में चीन को अकेला खड़ा करने की है योजना –
मोदी चाहते हैं कि चीन को सबक सिखाना है और चीन को किसी भी तरह से एशिया के अन्दर अकेला खड़ा कर दिया जाये. पाकिस्तान का साथ दे रहा चीन कहीं ना कहीं आतंकवाद को भी पालने का काम कर रहा है ऐसा मोदी एशिया समेत विश्व को सन्देश देना चाहते हैं. चीन भारत से व्यापार पर खरबों रुपैय कमाता तो जरुर है किन्तु बाद में वही धन पाकिस्तान को चला जाता है जिसके बाद पाक भारत को आँख दिखाता है. इसके लिए चीन को सबक सिखाना है.
यही मुख्य कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कसम खा ली है कि चीन को सबक सिखाना है. वह चीन को भारत माता का दम दिखाकर ही रहेंगे.
जापान के साथ हुए समझौतों को इसी प्लान की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है.
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