मोदी की हवा – एक चाय वाले से लेकर प्रधानमंत्री तक का सफर नरेन्द्र मोदी का बहुत उतार चढ़ाव वाला रहा।
2002 में हुए गुजरात दंगे के बाद कोई सोच भी नहीं सकता था कि वो प्रधानमंत्री बन सकते हैं लेकिन उन्होंने नामुमकिन को भी मुमकिन कर दिखाया।
उनके राष्ट्रीय नेता बनने के पीछे सबसे बड़ा कारण वो मोदी की हवा थी जो मोदी के नाम पर चल पड़ी थी। इसी हवा में मोदी कब गुजरात के मुख्यमंत्री से देश के प्रधानमंत्री बन गए यह पता तक नहीं चला। लेकिन लगता है ये हवा अब आंधी बन गई है। अगर ऐसा है तो एक ऐसा तूफान आने वाला है जो सबकुछ बर्बाद कर देगा।
आंधी और हवा मे यही फर्क होता है एक लोगों को अच्छी लगती है तो दूसरे से लोग दूर ही रहना चाहते हैं। पिछले कुछ समय से जो माहौल बन रहा है वह इसी तूफान की ओर संकेत कर रहा है।
दरअसल इस हवा को आंधी कुछ बीजेपी भक्तों ने ही बना दिया। वो मोदी की हवा में ऐसे उछल गए कि मामला ही उल्टा पड़ गया। गोरखपुर में एक के बाद सैकड़ों बच्चों की मौत पर सरकार का अफसोसजनक ब्यान कि अगस्त में ज्यादा बच्चे मरते ही हैं। लोगों की बच्चों की मौत पर यह ब्यान कांटे की तरह चुभ रहा है।
एक के बाद एक कई ट्रेन हादसे। हादसे कई हुए पर इसपर सरकार का रवैय्या ढ़ीला ढ़ाला ही रहा। अपना सफाई पेशकर सिर्फ अपने कर्तव्यों की इतिश्री ही सरकार ने की।
हरियाणा में भाजपा सरकार है। राम रहीम के मद्दे पर सरकार ने जो रुख रहा वो सबके सामने हैं। कोर्ट ने सरकार का काम किया और सरकार चुप चाप सोती रही।
नोटबंदी, जनधन और अब जीएसटी।
जनता से सब बर्दास्त किया क्योंकि वो चाहती थी कि यह सब भष्टाचार रोकने के लिए हैं लेकिन रिजल्ट क्या निकला-जीरो। सरकारी ज्यादातर योजनाएं फेल। सरकार ने उसे सफल सिर्फ दिखलाने के लिए करोड़ों रुपये विज्ञापन पर खर्च कर डाले।
यह आंधी अब ऐसी हो चली है कि खुद पार्टी के भीतर मतभेद सामने आ रहे हैं। यशवंत सिन्हा तो अब खुल कर आ गए। वित्त मंत्री अरुण जेटली भी दबी जुबान से स्वीकार चुके हैं कि अर्थव्यवस्था मंदी की ओर जा रही है।
ये है मोदी की हवा – इतना कुछ हो रहा है और प्रधानमंत्री मोदी कोई ठोस कदम उठाने की जगह बुलेट ट्रेन लाने में लगे हुए हैं। सरकार ने जिस मुद्दे पर भी ठोस कदम उठाया उससे जनता को ही परेशानी हुई।
ऐसा में लग रहा है कि आने वाले समय में यह आंधी तूफान बनकर शांत हो जाएगी।