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बहुत हुई महंगाई की मार, चुनावी वादे याद करो मोदी सरकार

बहुत हुई महंगाई की मार… अब की बार मोदी सरकार

कुछ याद आया क्या ?

कहा नहीं याद आया चलो हम बताते है. साल था 2014 समय था लोकसभा चुनाव का देश परेशान था कोंग्रेस के कुशासन से और महंगाई दिन दुगुनी और रात चौगुनी होती जा रही थी.

ऐसे में भारत की जनता की आस बंधी थी NDA और नरेंद्र मोदी से.

अंधाधुंध प्रचार हो रहा था. इस बीच बीजेपी ने कई चुनावी वादे और नारे दिए जिनमे से सबसे ज्यादा प्रचलित हुए वो थे

“बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार ” और  “अच्छे दिन आने वाले है ”

ये दो वादे ऐसे थे जिन्होंने मोदी को सीधे सीधे जनता से जोड़ दिया. और नतीज़ा 2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की ऐसी दुर्गति जैसी शायद बीजेपी ने भी नहीं सोची थी. 60 साल से ज्यादा समय तक राज करने वाली कांग्रेस महज 44 सीट पर सिमट गयी.

बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार में आई और इसी के साथ लौटी लोगों की उम्मीद अच्छे दिन आने की.

धीरे धीरे समय बीतता रहा और एक साल हो गया. अगर एक साल में देखे तो बीजेपी सरकार की एक मात्र उपलब्धि ये रही कि कोई बड़ा घोटाला या भ्रष्टाचार का मामला सामने नहीं आया.

विदेश मामलों एवं अन्य क्षेत्रों में ये सरकार कुछ हद तक सफल भी रही है पर जिस क्षेत्र में ये सरकार सबसे ज्यादा असफल रही है वो वही क्षेत्र है जिसके बारे में वादे और सब्जबाग दिखा कर ये पार्टी सरकार में आई थी.

जी हाँ हम बात कर रहे है आम आदमी और उससे जुड़ी समस्याओं की.

प्रधानमंत्री मोदी ने एक साल के कार्यकाल में ना जाने कितने देशों के विदेश दौरे किये, ये भी नहीं कह रहे कि ये दौरे करना गलत था. विदेश नीति के लिए ये दौरे सही थे और इतने सारे देशों से राजनैतिक और व्यापारिक सम्बन्ध बनना आज शायद ना दिखे पर भविष्य में इसके परिणाम अच्छे ही होंगे.

इसका पता इस बात से चलता है की पिछले एक साल में विदेशों से होने वाला व्यापर 19.78 बिलियन डॉलर का हुआ जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है. लेकिन इन दौरों से एक नुक्सान भी हुआ वो ये कि प्रधानमंत्री देश पर उतना ध्यान नहीं दे सके जितना देने की आवश्यकता थी.

उनकी पहली प्राथमिकता देश की समस्याओं को सुलझाना होनी चाहिए थी.जिस महंगाई को रोकने के लिए जनता ने इस सरकार को चुना वो महंगाई कम होना तो दूर और भी ज्यादा बढ़ गयी है.

प्याज़ ने एक बार पहले भी NDA सरकार को रुलाया है और जैसे हालात अभी हो रहे है उनसे लगता है कि प्याज एक बार फिर इस सरकार के लिए परेशानी का सबब बन जायेगा. प्याज़ की कीमत जो 20-25 से अधिक नहीं होती थी आज 80 रूपये प्रति किलो पहुँच गयी है. ना सिर्फ प्याज बल्कि सब्जियां, दालें, मसाले सब चीज़ों के भाव आसमान छूने लगे है. ऐसे में जब आम आदमी परेशां और त्रस्त हो रहा है कैसे ये सरकार उनको लोकलुभावन वादे और योजनाओं से बहलाएगी.

बहुत से लोगों का मानना था कि आम जनता के साथ साथ ये सरकार व्यापारी वर्ग की भी हितैषी है और विकास और व्यापार दोनों को बढ़ावा देगी पर पीछे एक साल में ऐसी कोई भी योजना नहीं आई जो व्यापारियों और उद्यमियों की मदद करे और कल जो हुआ उसने तो मध्यम और छोटे वर्ग के व्यापारियों की कमर ही तोड़ दी.

कल शेयर बाज़ार जिस तरह औंधे मुहं गिरा वैसा शायद ही पहले कभी गिरा था. एक दिन में बाज़ार ने करीब 7.5 लाख करोड़ रुपये गंवाए.

इस तरह की घटना ना सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था के लिए गलत है साथ ही साथ इस तरह की घटना से लोगों का प्रधानमंत्री मोदी और सरकार में विश्वास भी कमज़ोर होगा और विरोधियों को एक बड़ा मौका मिलेगा ये साबित करने का कि सरकार हर मोर्चे पर असफल हो रही है.

अभी भी समय है सिर्फ एक साल ही गुजरा है नरेन्द्र मोदी को देश की तरफ ज्यादा ध्यान देना चाहिए और असली मुद्दों और समस्याओं पर काम करना चाहिए ना कि मंदिर, धर्म, हिंदुत्व, योग जैसे अवांछित मुद्दों पर.

प्याज़ की कीमत जिस तरह आसमान चढ़ रही है और महंगाई बढती ही जा रही है इससे निम्न और मध्यम वर के लिए सबसे ज्याद समस्या खड़ी हो रही है. आखिर में इंसान की सबसे मूलभूत आवश्यकता रोटी कपडा और मकान ही अगर उसकी पहुँच से दूर होती रहेगी तो वो क्या करेगा.

ऐसी स्थिति में ना व्यापर होगा ना कुछ और काम और फिर लोग आम जनता को भड़का कर अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करेंगे और फिर एक बार नए चुनाव नयी सरकार और नतीजा ढाक के तीन पात.

नरेन्द्र मोदी के पास सुनहरा मौका है चीज़ों को सकारात्मक रूप से बदलने का और अब जब उनके पास ज्यादा समय नहीं बचा है तो उन्हें पूरा ध्यान आम लोगों की समस्या पर देना चाहिए. जब जनता का पेट भरा होगा और उनके पास रोज़गार होगा और महंगाई नियंत्रण में होगी तभी स्वच्छ भारत, सेल्फी विथ डॉटर या फिर डिजिटल इंडिया जैसे अभियानों का मतलब होगा नहीं तो ये सब बस चमक दमक और दिखावा ही बनकर रह जायेंगे.

आशा करते है की सरकार अब नींद से जागे और महंगाई और अन्य समस्याओं को गंभीरता से ले और उसके समाधान जल्दी निकलने की कोशिश करे. नहीं तो जनता भी यही कहती नज़र आएगी

“बहुत हुई महंगाई की मार … चुनावी वादे याद करो मोदी सरकार ”

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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Yogesh Pareek

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