बहुत से लोगों का मानना था कि आम जनता के साथ साथ ये सरकार व्यापारी वर्ग की भी हितैषी है और विकास और व्यापार दोनों को बढ़ावा देगी पर पीछे एक साल में ऐसी कोई भी योजना नहीं आई जो व्यापारियों और उद्यमियों की मदद करे और कल जो हुआ उसने तो मध्यम और छोटे वर्ग के व्यापारियों की कमर ही तोड़ दी.
कल शेयर बाज़ार जिस तरह औंधे मुहं गिरा वैसा शायद ही पहले कभी गिरा था. एक दिन में बाज़ार ने करीब 7.5 लाख करोड़ रुपये गंवाए.
इस तरह की घटना ना सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था के लिए गलत है साथ ही साथ इस तरह की घटना से लोगों का प्रधानमंत्री मोदी और सरकार में विश्वास भी कमज़ोर होगा और विरोधियों को एक बड़ा मौका मिलेगा ये साबित करने का कि सरकार हर मोर्चे पर असफल हो रही है.
अभी भी समय है सिर्फ एक साल ही गुजरा है नरेन्द्र मोदी को देश की तरफ ज्यादा ध्यान देना चाहिए और असली मुद्दों और समस्याओं पर काम करना चाहिए ना कि मंदिर, धर्म, हिंदुत्व, योग जैसे अवांछित मुद्दों पर.
प्याज़ की कीमत जिस तरह आसमान चढ़ रही है और महंगाई बढती ही जा रही है इससे निम्न और मध्यम वर के लिए सबसे ज्याद समस्या खड़ी हो रही है. आखिर में इंसान की सबसे मूलभूत आवश्यकता रोटी कपडा और मकान ही अगर उसकी पहुँच से दूर होती रहेगी तो वो क्या करेगा.
ऐसी स्थिति में ना व्यापर होगा ना कुछ और काम और फिर लोग आम जनता को भड़का कर अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करेंगे और फिर एक बार नए चुनाव नयी सरकार और नतीजा ढाक के तीन पात.
नरेन्द्र मोदी के पास सुनहरा मौका है चीज़ों को सकारात्मक रूप से बदलने का और अब जब उनके पास ज्यादा समय नहीं बचा है तो उन्हें पूरा ध्यान आम लोगों की समस्या पर देना चाहिए. जब जनता का पेट भरा होगा और उनके पास रोज़गार होगा और महंगाई नियंत्रण में होगी तभी स्वच्छ भारत, सेल्फी विथ डॉटर या फिर डिजिटल इंडिया जैसे अभियानों का मतलब होगा नहीं तो ये सब बस चमक दमक और दिखावा ही बनकर रह जायेंगे.
आशा करते है की सरकार अब नींद से जागे और महंगाई और अन्य समस्याओं को गंभीरता से ले और उसके समाधान जल्दी निकलने की कोशिश करे. नहीं तो जनता भी यही कहती नज़र आएगी
“बहुत हुई महंगाई की मार … चुनावी वादे याद करो मोदी सरकार ”