जी हाँ हम बात कर रहे है आम आदमी और उससे जुड़ी समस्याओं की.
प्रधानमंत्री मोदी ने एक साल के कार्यकाल में ना जाने कितने देशों के विदेश दौरे किये, ये भी नहीं कह रहे कि ये दौरे करना गलत था. विदेश नीति के लिए ये दौरे सही थे और इतने सारे देशों से राजनैतिक और व्यापारिक सम्बन्ध बनना आज शायद ना दिखे पर भविष्य में इसके परिणाम अच्छे ही होंगे.
इसका पता इस बात से चलता है की पिछले एक साल में विदेशों से होने वाला व्यापर 19.78 बिलियन डॉलर का हुआ जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है. लेकिन इन दौरों से एक नुक्सान भी हुआ वो ये कि प्रधानमंत्री देश पर उतना ध्यान नहीं दे सके जितना देने की आवश्यकता थी.
उनकी पहली प्राथमिकता देश की समस्याओं को सुलझाना होनी चाहिए थी.जिस महंगाई को रोकने के लिए जनता ने इस सरकार को चुना वो महंगाई कम होना तो दूर और भी ज्यादा बढ़ गयी है.
प्याज़ ने एक बार पहले भी NDA सरकार को रुलाया है और जैसे हालात अभी हो रहे है उनसे लगता है कि प्याज एक बार फिर इस सरकार के लिए परेशानी का सबब बन जायेगा. प्याज़ की कीमत जो 20-25 से अधिक नहीं होती थी आज 80 रूपये प्रति किलो पहुँच गयी है. ना सिर्फ प्याज बल्कि सब्जियां, दालें, मसाले सब चीज़ों के भाव आसमान छूने लगे है. ऐसे में जब आम आदमी परेशां और त्रस्त हो रहा है कैसे ये सरकार उनको लोकलुभावन वादे और योजनाओं से बहलाएगी.