रवीश कुमार – देश की राजनीति में मीडिया और पत्रकार ट्रांसपेरेंसी का काम करते हैं। किसी नेता ने कुछ गड़बड़ की नहीं कि मीडिया उसके सिर पर कैमरे और माइक लेकर बैठ जाती है।
आपने भी कई बार देखा होगा कि कैसे ये मीडिया वाले और पत्रकार नेताओं के सिर पर बैठ रहते हैं और उनकी एक छोटी सी गलती या हरकत पर भी पूरे देश में खबरों का भूचाल ले आते हैं।
खैर, ये सब बातें तो आपने देखी और सुनी होंगी लेकिन क्या आपने कभी किसी पत्रकार और नेता या पीएम के बीच दुश्मनी देखी है ? नहीं ना…
आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी बताने जा रहे हैं जिसमें एक पत्रकार अपने ही देश के पीएम से सख्त नफरत करता है। जी हां, आपने बिलकुल सही अंदाज़ा लगाया वो पीएम कोई और नहीं बल्कि हमारे पीएम मोदी ही हैं।
आइए अब जान लेते हैं उस पत्रकार के बारे में जो अपनी जुबान और दिल में पीएम साहब के लिए ज़हर लिए फिरता है।
एनडीटीवी के पत्रकार
एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार को देश में एक बेबाक पत्रकार के रूप में जाना जाता है। उन्हें हमेशा सत्ता विरोधी पत्रकारिता करते हुए देखा गया है। सरकार की सामने से आलोचना करने वाले कुछ चुनिंदा पत्रकारों में रवीश कुमार का भी नाम शामिल है। रवीश कुमार सत्ता में आने वाले लोगों पर पैनी नज़र रखते हैं।
अपने इस बेबाक अंदाज़ के कारण रवीश कई बार मोदी समर्थकों के निशाने पर भी आ चुके हैं। उनके खिलाफ प्रोपेगेंडा भी चलते हैं और उन्हें बदनाम किया जाता है लेकिन फिर भी रवीश को इस सबसे डर नहीं लगता और वो अब भी पूरी बेबाकी से पत्रकारिता करने में लगे हुए हैं।
भाई पर लगा रेप का आरोप
जब देखो मोदी भक्त रवीश को घेरे रहते हैं। जब उन पर कोई कीचड़ नहीं उछाल सके तो उनके भाई पर रेप का आरोप लगा दिया। हालांकि, इस मामले में आज तक एक भी चार्ज शीट दायर नहीं हुई। अगर रवीश के भाई पर लगे आरोप सच होते तो आज बीजेपी की सरकार उन्हें जेल पहुंचा चुकी होती।
ऐसे मुश्किल समय में भी रवीश ने अपनी निर्भीक पत्रकारिता को नहीं छोड़ा। वो सरकार से जनता, रोजगार, छात्र, महिलाओं और मजदूरों के हित से जुड़ सवाल उठाते रहते हैं।
आपने भी टीवी पर रवीश को एंकरिंग और रिपोर्टिंग करते हुए देखा होगा। जब भी वो टीवी पर आते हैं तो सरकार की कड़ी आलोचना करते हैं। उनके शब्द तीखे हो सकते हैं लेकिन शायद उनमें कहीं ना कहीं सच भी होता है तभी तो मोदी भक्त इतना भड़क जाते हैं क्योंकि आग जहां लगी होती है धुआं भी वहीं से उठता है।
इसका एक पहलू ये भी हो सकता है कि रवीश बीजेपी की किसी विरोधी पार्टी को सपोर्ट करने के लिए ऐसा कर रहे हों ताकि मोदी जी की छवि धूमिल हो जाए और उनके समर्थन वाली पार्टी सामने आए।
खैर, जो भी हो आज के दौर में साफ-सुथरी राजनीति और निरपेक्ष पत्रकारिता की उम्मीद करना बेवकूफी है। ये दोनों ही अपनी तिजोरियां भरने में लगे हुए हैं और देश की चिंता किसी को भी नहीं है।
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