मिर्जा गालिब – कर्ज की पीते थे मय लोकिन समझते थे कि हां
रंग लावेगी हमारी फाकामस्ती एक दिन….
ये है मिर्जा गालिब उर्फ मिर्जा अस्सुद्दीन खान। मिर्जा गालिब के किस्से और उनकी शायरियों का लुफ्त हर कोई अपने जीवन में एक ना एक समय जरूर उठाता है। हर कोई अपने आशिकाना दौर में या मुफलती में गालिब का चाहा अनचाहा फैन हो जाता है। मिर्जा गालिब के जीवन में हुनर तो बहुत था, लेकिन उन्होंने इसे कभी अपनी शौहरत नहीं बनाया। शायद यही वजह थी कि गालिब के पास हुनर की दौलत तो थी, लेकिन जेब फकीरी के जीवन में जी रही थी।
अंग्रेजी ही पीते थे उर्दू मिंया गालिब
गालिब के जीवन में पैसों का आना-जाना लगा ही रहता था, लेकिन इस बात का असर कभी उन्होंने अपने शोक पर नहीं पड़ने दिया। गालिब को पैसों की कितनी भी कमी हो, लेकिन शराब वह अग्रेंजी और मंहगी ही पीते थे। इनका जीवन यूं समझिये कि आला दर्जे की नवाबी भी थी और फकीरी भी। गालिब अपनी शायरी के चलते जितने बड़े शायर थे, वहीं वह अपनी शराब की लत की वजह से बदनाम भी थे।
शराब के पैमानों ने डुबोया था कर्ज में
गालिब का जीवन एक समय में बेहद गर्दिशों में डूबा हुआ था। उस दौरान उन्होंने अपने हर जानकार, साहूकार, ठेकेदार, दोस्त व रिश्तेदार हर एक से कर्ज ले लिया था। उनके इस कर्ज का एक ही कारण था और वो था उनके शराब का जाम… जिसे लाने के लिए उन्हें चाहें कोसों दूर जाना पड़े, चाहे कितनी भी मंहगी क्यों ना हो… वो कर्ज लेते और अपने शराब के शोक को पूरा करते।
कर्जदारों की तहरीर पर घर से ले गए थे दरोगा साहब
गालिब पर शराब के नशे के चलते कर्ज की रकम इतनी बढ़ गई थी, कि एक दिन कर्ज देने वालों ने मियां गालिब के खिलाफ पुलिस में केस दर्ज करा दिया। 19वीं सदी में 40 हजार की रकम बहुत बड़ी हुआ करती थी। इतनी बड़ी रकम की कर्जदारी पर पुलिस ने भी कार्रवाई की और गालिब को उनके घर से अपना मेहमान बना कर जेल ले गई और बाद में कचहरी में भी हाजिर किया।
जुआ खेलने के भी आदि थे गालिब मियां
ऐसा हरगिज नहीं है कि आज के दौर के ही नेता अभिनेताओं के शोक बिगडैंल हो। इस लिस्ट में पुरानें गायकों, शायरों, अभिनेताओं और नेताओं के भी नाम दर्ज है। इस लिस्ट में एक नाम था मिर्जा गालिब का… जिन्हें जुआ खेलने का शोक इस कदर था कि एक बार तो जुआं खेलते पकड़े जाने की वजह से उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी। इतना ही नहीं उन्हें इसके लिए 6 महीनें की सजा भी सुनाई गई थी। दरअसल इस मामले में उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, लेकिन आज के दौर की तरह उस दौरान भी पैसेवालों का रसूक हुआ करता था। गालिब बाहादुर शाह जफर के बेहद खास हुआ करते थे। इसी कारण बादशाह बहादुर शाह जफर ने गालिब की सिफारिश कर उनकी उम्रकैद की सजा को 6 महीनें की सजा में तबदील करवा दिया था।
ये किस्से थे मिर्जा गालिब के शराब पैमानों के, जिसने कभी उन्हें गर्दिश के तारें दिखाये, तो कभी दर-दर की ठोकरे व जेल में सजा काटने पर मजबूर कर दिया, लेकिन आज भी गालिब हर आशिक के खत का चांद है, हर टूटे दिल का आराम है।