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कश्मीर के पत्थरबाजों की आँखों में क्यों झौंकी की जा रही है मिर्च!

मिर्ची बम

कश्मीर घाटी में पत्थरबाजों को काबू में करने के लिए सुरक्षा बलों के हाथों में एक नायाब हथियार आ गया है.

अब वे पत्थरबाजों को काबू में करने के लिए उनपर पैलेट गन से छर्रे बरसाने के बजाए उनकी आंखों में मिर्च झौक रहे हैं. इस मिर्ची बम के सामने पत्थरबाज ऐसे डर कर भागते हैं जैसे कोई भूत को देखकर भागता है.

पेलेट गन के स्थान पर प्रयोग किए जाने वाला पावा शैल वाकई में किसी भूत से कम नहीं है.

इस शैल में जो मिर्च भरी होती है वह कोई मामूली नहीं बल्कि दुनिया की सबसे तीखी और खतरनाक मिर्च है, जिसका नाम है भूत झोलकिया.

जम्मू-कश्मीर में आतंक मचा रहे पत्थरबाजों पर सुरक्षा बल पेलेट गन के स्थान पर मिर्ची बम का इस्तेमाल कर रहे हैं.

दरअसल, कश्मीर घाटी में भीड़ पर काबू पाने के लिए सुरक्षा बल पेलेट गनों का इस्तेमाल कर रहे थे. इस गन से काफी लोगों की आंखों की रोशनी चली गई. इस हथियार से बड़े पैमाने पर घाटी में लोग घायल हुए हैं, इन प्रदर्शनकारियों में छोटे बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं. इस कारण सरकार की काफी आलोचना होने लगी थी. हालांकि, इससे उपद्रवियों के बीच दहशत भी कायम हुई थी.

इस कारण सरकार ने तय किया कि अलगाववादियों से निपटने के लिए मिर्ची बम के नाम से मशहूर पावा गोले के इस्तेमाल किया जाएगा.

आपको बता दें कि मिर्ची बम से पत्थरबाजों में काफी दहशत है. इसका कारण है कि इससे जो धुआं निकलता है वह जहां बहुत तेज आंखों में लगता है तो वहीं उससे खुजली और इतनी जलन होती है कि पत्थरबाजों को नानी याद आ जाती है.

पत्थरबाज इस मिर्ची बम के सामने आने से घबराते हैं क्योंकि इससे इतनी बेचैनी होती है कि आदमी बेहाल हो जाता है. पेलेट का दर्द एक बार को सहन भी हो जाता है लेकिन इससे होने वाली बेचैनी बर्दास्त के बाहर होती है.

हालांकि, जम्मू-कश्मीर में भीड़ पर काबू पाने के लिए सुरक्षा बलों की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले पेलेट गनों पर पूरी तरह पाबंदी नहीं लगाई जाएगी और दुर्लभतम परिस्थितियों में इनका इस्तेमाल किया जाएगा.

पावा गोलों पर पिछले करीब एक साल से वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद( सीएसआईआर) की लखनऊ स्थित प्रयोगशाला भारतीय विष-विज्ञान संस्थान में परीक्षण चल रहा था.

इसका पूरा विकास ऐसे समय में हुआ है जब कश्मीर में अशांति कायम है.

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