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मिरेकल कोरियर – सामाजिक महापुरुष

Miracle Courier

मनुष्य होने के नाते हमें अपनों की पीड़ा को देखकर दुखी होना स्वभाविक हैं.

भारत में कई सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाए हैं जो ध्वनी से वंचित लोगों की सहायता करने में तत्पर हैं और ऐसी ही कुछ संस्थानों में हम सभी ने कभी न कभी आर्थिक व सामाजिक रूप से अपना योगदान दिया ही होगा.

एक हिंदी मुहावरा है की गरीब को केवल खाना मत दो पर खाना कमाने का सामर्थ्य दो. बस इसी मुहावरे को सही सिद्ध किया है ध्रुव लकरा  ने.

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ध्रुव लकरा  ‘मिरेकल कोरियर’ (संदेशवाहक) नामक एक कंपनी के फाउंडर और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सी.इ.ओ.) हैं. यह कोरियर कंपनी बाकी सब से थोड़ी अलग है क्योकि इसमें काम करने वाले कर्मचारी हम और आप जैसे साधारण नहीं हैं, वह सभी शारीरिक तौर से अक्षम लोग हैं. मिरेकल कोरियर में 65 बेहेरे व्यक्ति काम करते हैं. ध्रुव लकरा  ने ऑक्सफ़ोर्ड महाविद्यालय से सामाजिक उद्यमिता में एम.बी.ए किया है. शुरुआत में इन्होंने एच.आर. कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और फिर कुछ साल निवेश बैंकिंग में काम किया. बाद में इन्होंने तमिलनाडू के ग्रामीण क्षेत्र में काम किया. वे सामाजिक कार्य और परंपरागत व्यापार में ताल मेल लाना चाहते थे.

मिरेकल कोरियर एक फॉर-प्रॉफिट संगठन है जिसका विचार ध्रुव को मुंबई की बस में सफ़र करते हुए  एक घटना से आया. जब वह सफ़र कर रहे थे तब एक व्यक्ति इनके पास बैठा था, वह खिड़की के बाहर बड़ी आतुरता और बेचैनी से देख रहा था और काफी चिंतित लग रहा था, इसलिए ध्रुव ने उसने कुछ जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की, पर वह विफल रहे, कुछ क्षणों बाद ध्रुव को एह्सास हुआ कि वह व्यक्ति सुन नहीं सकता और बोल नहीं सकता. बस तबसे ध्रुव तत्पर हैं इस तरह के लोगों के   की सेवा में.

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ध्रुव ने तब अवलोकन किया कि जब कभी कोई कोरियर देने व्यक्ति आता है तो उसे कुछ भी बोलने सुनने की ज़रूरत नहीं पड़ती, केवल उन्हें ख़त को व्यक्ति तक पहुंचाना होता है और उनके हस्ताक्षर लेने होते हैं. तबसे जन्म हुआ मिरेकल कोरियर का. आज उनकी दो शाखाएँ है, 70 से अधिक लोग उसमें काम करते है, और प्रति माह 65000 लेटर्स वितरित करते है.

हम नमन करते है इनके जज्बे और इनके बुलंद हौसले को.