बिल्ली के गले में घंटी कौन बाँधेगा?
इस बात का जवाब तो मुश्किल है लेकिन हमारे देश के हट्टे-कट्टे मोटे-ताज़े नेताओं को ज़रा धूल चटवाने की ज़िम्मेदारी हमारी न्यायपालिका ने उठा ली है!
बहुत हवा में उड़ते-फिरते हैं, ऐसे पेश आते हैं आम आदमी के साथ मानों ख़ुद भगवान हों और बाकी सब नर्क-योगी!
कोई बात नहीं, इनके पर काटने की तैयारी कर दी है इलाहबाद हाई कोर्ट ने और वो भी इतने प्यार से कि दर्द भी होगा और मज़ा भी आएगा! अरे दर्द उन्हें होगा, मज़ा हमें आएगा!
चलो बताता हूँ कि हुआ क्या! उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों की बदतर हालत को देखते हुए हाई कोर्ट ने आदेश दे दिए हैं कि वहाँ के जितने भी राजनेता हैं, मिनिस्टर हैं, आई ए इस अफ़सर हैं और बाकी सरकारी अधिकारी हैं, उनके लिए अपने बच्चों को उन्हीं सरकारी स्कूल में भेजना अब अनिवार्य होगा! कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने पर ही सरकारी महकमे और मिनिस्टरों को समझ आएगा कि शिक्षा की जब ऐसी दुर्दशा होती है और उस से ख़ुद के बच्चों को गुज़रना पड़ता है तब कैसा लगता है!
मेरे ख़याल से यह हाई कोर्ट का एक सही दिशा में बहुत ही बेहतरीन क़दम है!
हज़ारों करोड़ रूपया बहा देते हैं यह सरकारी अफ़सर और नेता, गरीबों के बच्चों को शिक्षा मुहैया कराने के नाम पर लेकिन पढ़ाई करते हैं सिर्फ़ इनके बच्चे और वो भी विदेशी स्कूलों में! किसी भी गाँव कसबे में जाकर सरकारी स्कूल की हालत देख लीजिये, आप को ख़ुद समझ आ जाएगा| पढने के लिए टीचर नहीं होते, बैठने के लिए कुर्सी-मेज़ नहीं होता, पीने का पानी या टॉयलेट तक नसीब नहीं होता और कहते हैं हमने स्कूल खोल दिए, अब आ जाओ पढ़ने!
मेरे हिसाब से तो यह पहला क़दम है और ज़बरदस्ती इसका पालन भी होना चाहिए! उसके बाद ज़रा बाकी की चीज़ों पर भी आईये| इन नेताओं और इनके परिवारों से कहो कि ज़रा राशन, पासपोर्ट या ट्रेन की टिकट लेने के लिए लाइन में खड़े हों| किसी सरकारी काम के लिए एक डिपार्टमेंट से दूसरे में भाग के दिखाएँ| अपने परिवारजनों का इलाज किसी सरकारी अस्पताल में करवाएँ! तब समझ आएगा कि आम आदमी को किस हालात से गुज़ारना पड़ता है सिर्फ़ ज़िंदा रहने के लिए! और अगर कहीं उसने कुछ सपने देख लिए, कुछ बड़ा करने का मन बना लिया, तब तो यह सरकारी मशीनरी हाथ धो कर पीछे पड़ जायेगी कि तुम ग़रीबों ने ऐसा कुछ सोच भी कैसे लिया?
इंसानी जान का कोई मूल्य कहाँ रखते हैं यह नेता लोग?
बस इनकी जेब गर्म रहे, इनके ऐशो आराम चलते रहें, दुनिया हसीन है!
उम्मीद तो पूरी है कि ऐसा दिन ज़रूर आएगा जब यह नेता अपनी औकात में आएँगे, देखना है कितनी जल्दी आता है ये दिन! फ़िलहाल तो हाई कोर्ट को शत-शत प्रणाम इस कमाल के आदेश के लिए! जय हो!