डिप्रेशन का अंत आत्महत्या – डिप्रेशन और आत्महत्या, एक सिक्के के दो पहलू हैं या यूं कहें कि एक-दूसरे से काफी हद तक जुड़े हुए हैं।
डिप्रेशन का अंत आत्महत्या पर जाकर कई बार होता है। इसलिए तो बीते दिनों में डिप्रेशन को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मानसिक रोग में गिनती करने का निर्देश दिया है। यह सर्वोच्च न्यायालय की बहुत अच्छी पहल थी। क्योंकि इससे पहले हमारे देश में डिप्रेशन और मानसिक रोगियों को पागल समझा जाता था। जबकि पागलपन और मानसिक रोगी होने में बहुत अंतर है और मानसिक रोग की शुरुआत डिप्रेशन से ही होती है जिसका अंत कई बार आत्महत्या पर जाकर होता है।
डिप्रेशन का अंत आत्महत्या –
आत्महत्या जुर्म नहीं
पहले हमारे देश में आत्महत्या को जुर्म माना जाता था जिसके तहत जेल भेजने का भी प्रावधान था। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक आदेश में इसे जुर्म की सूची से निकालकर मानसिक रोग की सूची में डाल दिया है जो कि एक अच्छा कदम था। क्योंकि आत्महत्या करने के बाद अगर फलाना इंसान बच जाता था तो उस पर पुलिस कार्यवाई होती थी। ऐसे में पहले से परेशान इंसान और अधिक परेशान हो जाता था। जबकि उसे एक सहारे और इलाज की जरूरत थी। इसी को ध्यान में रखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने आत्महत्या की कोशिश करने वाले शख्स को मेडिकल फेसिलिटी देने का निर्देश दिया है।
सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले का स्वागत देश के हर कोने से हुआ था और इसे एक मील का पत्थर माना जा गया था।
ब्रिटेन ने पेश किया उदाहरण
ब्रिटेन ने पूरी दुनिया से एक कदम आगे बढ़ते हुए आत्महत्या को रोकने के लिए मंत्री नियुक्त किया है। ब्रिटेन अब अपनी तरह का पहला देश बन गया है जहां आत्महत्या को रोकने के लिए कोई मंत्री नियुक्त किया गया है। मंत्री नियुक्त करने का अर्थ है कि उसका खुद का मंत्रालय होगा।
दुनिया का पहला देश बना यूके
ब्रिटेन उर्फ यूके आत्महत्या रोकने के लिए मंत्रालय बनाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। यूनाइटेड किंगडम (यूके) की प्रधानमंत्री टेरीसा मे ने देश में आत्महत्या के मामलों को रोकने के लिए पहला मंत्री नियुक्त किया है और यह ज़िम्मेदारी स्वास्थ्य मामलों की कनिष्ठ मंत्री जैकी डॉयल-प्राइस को दी गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, यूके में हर 90 मिनट में एक शख्स आत्महत्या करता है और पिछले साल 5,821 लोग इसके कारण मारे गए।
मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर उठाया गया कदम
ब्रिटेन ने यह अनोखा कदम मानसिक स्वास्थ्य दिवस के मौके पर उठाया हुआ है। गौरतलब है कि इस देश में हर साल करीब 4,500 लोग अपनी जीवन लीला स्वयं समाप्त कर लेते हैं। इस कारण ही वहीं आत्महत्या के मामलों पर लगाम कसने के लिए पहली बार एक मंत्री की नियुक्ति की गई है। ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री जैकी डॉयल प्राइस को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है और इससे आत्महत्या के मामलों को रोकने में मदद मिलेगी। मे ने एक बयान में बताया ‘‘इससे हम उस धब्बे को मिटा सकते हैं, जिसके चलते कई लोग चुप रह कर पीड़ा सहने के लिए बाध्य होते हैं। हम आत्महत्या रूपी त्रासदी को रोक सकते हैं. हम हमारे बच्चों को मानसिक रूप से बेहतर माहौल प्रदान कर सकते हैं।’
मानिसक स्वास्थ्य और सेहत एक चीज
इस सारे कार्यक्रम के दौरान टेरेसा मे ने एक बहुत अच्छी बात कही। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य और सेहत को एक बताया जो कि कई लोगों के लिए अलग-अलग है और मानिसक स्वास्थ्य जैसी चीज उनके लिए ना के बराबर होती है। उन्होंने कहा ‘‘अगर हम अपने मानसिक स्वास्थ्य की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं तो हम अपनी सेहत पर भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। हमें मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, दोनों पर ही ध्यान देने की जरूरत है। न केवल हमें अपनी स्वास्थ्य प्रणालियों में सेहत पर ध्यान देना जरूरी है बल्कि कक्षाओं में, कार्यस्थलों में और समुदायों में भी सेहत पर ध्यान देना आवश्यक है।’
डिप्रेशन का अंत आत्महत्या है जिसे रोकना चाहिए और ब्रिटेन का यह एक अच्छी पहल है और फिर से ब्रिटेन को सबसे प्रगतिशील देश की कतार में आगे रखता है। उम्मीद है कि ऐसी ही कुछ पहल अपने देश में भी देखने को मिलेगी।
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