MenToo कैंपेन – बॉलीवुड अभिनेत्री तनुश्री दत्ता के बाद तो बॉलीवुड से लेकर मीडिया जगत तक मीटू से हिल गया.
मीटू की कई दिल दहला देने वाली कहानियों ने बड़े-बड़े दिग्गजों की पोल खोल दी, लेकिन महिलाओं की शोषण की कहानी के बाद अब बारी है पुरुषों की, जिनके लिए शुरू हुआ है MenToo कैंपेन. इस कैंपने के जरिए महलाओं द्वारा यौन शोषण का शिकार हो चुके पुरुष अपनी आपबीती दुनिया को बताएंगे.
#MenToo के तहत 15 लोगों के एक समूह ने पुरुषों से कहा कि वे महिलाओं के हाथों अपने यौन शोषण के बारे में खुलकर बोलें. इन लोगों में फ्रांस के एक पूर्व राजनयिक भी शामिल हैं, जिन्हें साल 2017 में यौन उत्पीड़न के एक मामले में अदालत ने बरी कर दिया था. #MenToo कैंपेन की शुरुआत शनिवार को गैर सरकारी संगठन (NGO) चिल्ड्रन राइट्स इनिशिएटिव फॉर शेयर्ड पेरेंटिंग (Crisp) ने की. Crisp के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुमार वी ने कहा कि मीटू अभियान के तहत झूठे मामले दायर करने वालों को सजा मिलनी चाहिए.
उन्होंने MeToo को एक अच्छा कैंपेन बताया, लेकिन यह भी कहा कि झूठे आरोप लगाकर किसी को फंसाने के लिए इसका गलत इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. MeToo में जहां महिलाएं दशकों पहले हुए यौन उत्पीड़न की बात बता रही हैं, वहीं इसके उलट MenToo कैंपेन में हालिया घटनाओं को उठाया जाएगा. MeToo कैंपेन के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि अगर यौन उत्पीड़न का मामला सच है, तो पीड़िताओं को सोशल मीडिया पर आने की जगह कानूनी कार्रवाई का सहारा लेना चाहिए.
इस मौके पर फ्रांस के पूर्व राजनयिक पास्कल मजूरियर भी मौजूद थे, जिन पर अपनी बेटी के यौन उत्पीड़न का आरोप लगा था, लेकिन साल 2017 में अदालत ने उन्हें बरी कर दिया था. उन्होंने कहा कि MenToo कैंपेन MeToo आंदोलन का जवाब देने के लिए नहीं है, बल्कि यह पुरुषों की समस्याओं का समाधान करेगा, जो महिलाओं के अत्याचारों के खिलाफ नहीं बोलते हैं.
पास्कल ने कहा, “पुरुषों के पास असली दुख है…वे भी पीड़ित हैं, लेकिन वे महिलाओं और अपने दुराचारियों के खिलाफ खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘हम महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून बनाते हैं. यह अच्छा है, लेकिन हमें नहीं भूलना चाहिए कि मानवता का आधा हिस्सा पुरुष हैं.”
MenToo कैंपेन – ये बात सच है कि कुछ महिलाएं कानून का दुरुपयोग करके परुषों को फंसाने और परेशान करने का काम करती है, ऐसे में पुरुषों को भी अपना पक्ष रखने का हक है.