आपने कभी जलपरी के बारे में सुना है?
बेशक आपने बचपन में “डिजनी ऑवर में एरियल” कार्टून को तो जरूर देखा होगा। मैंने भी देखा था। उसी समय से मुझे जलपरी बनने का बहुत शौक था। आपको भी शौक जरूर चढ़ा होगा। जलपरी मतलब Mermaid… एक ऐसा टॉपिक है जिस पर सबका ध्यान जाता है। औऱ या यूं कहें कि ये टॉपिक लोगों का ध्यान खुद ही खींच लेता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि हम इसके बारे में क्यों बात कर रहे हैं?
हम इसके बारे में इसलिए बात कर रहे हैं क्योंकि इस धरती पर रियल में एक जलपरी ने जन्म लिया है जिसके बारे में डॉक्टर भी कुछ भी बताने में असमर्थ हैं।
हैरान करने वाला मामला
ये एक हैरान करने वाला मामला है और इसे फेक न्यूज़ समझने की गलती बिल्कुल भी ना करें। अगर विश्वास ना हो तो सबसे पहले पूरी खबर पढ़ें। क्योंकि इस बच्ची के नीचे की पूरी बॉडी जलपरी की तरह है। पहले-पहले तो हमें भी इस पर भरोसा नहीं हुआ। लेकिन जब आप इस फोटो को देखेंगे तो आप भी यकीन करने पर मजबूर हो जाएंगे की इस धरती में सच में एक जलपरी ने जन्म लिया है।
डॉक्टर्स भी हैरान
इस बच्ची को देखकर डॉक्टर भी हैरान हैं और कुछ भी बताने में असमर्थ हैं। ये अपनी तरह का अब तक का पहला और सबसे अलग मामला है जिसने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। इस बच्ची को देखने के लिए अस्पताल के बाहर लोगों की भीड़ लगी रही है।
पश्चिम बंगाल का है ये मामला –
ये मामला पश्चिम बंगाल का है। दरअसल कोलकाता के एक अस्पताल में अपनी तरह की ये दुर्लभ मामला देखने को मिला है। कुछ दिनों पहले इस अस्पताल में एक बच्चे ने ‘जलपरी’ के रूप में जन्म लिया। इस बच्चे को देखकर डॉक्टरर्स भी हैरान है और कुछ बता पाने की स्थिति में नहीं है।
नहीं पता चला बच्चे का लिंग
बच्चे के कमर का ऊपरी हिस्सा तो सामान्य मनुष्यों की तरह था लेकिन कमर के नीचे का हिस्सा जलपरी की तरह दिख रहा था। बच्चे के दोनों पैर आपस में जुड़े हुए थे। एक नजर आप भी ऊपर दी हुई फोटो में फिर से डालें। ये बच्चे का जन्म अविकसित श्रोणि में रखा गया था और इस बच्चे के दोनों पैर आपस में जुड़े हुए थे जिसके कारण डॉक्टर्स बच्चे का लिंग पता करने में भी असमर्थ थे।
बच्चे को था ‘मरमेड सिंड्रोम’
डॉक्टर्स का कहना है कि बच्चे को ‘मरमेड सिंड्रोम’ था। ‘मरमेड सिंड्रोम’ इस दुर्लभ बीमारी का नाम है जिसमें बच्चे का शरीर ‘मरमेड मतलब जलपरी’ की तरह होता है। बच्चे का जन्म शहर के सरकारी अस्पताल चितरंजन सेवा सदन में हुआ था। जिस महिला से इस बच्चे का जन्म हुआ था उस महिला की नॉर्मल डिलीवरी हुई थी। जानकारी के अनुसार बच्चे के मां-बाप बहुत गरीब थे जिसके कारण वे प्रेंग्नेसी से जुड़े टेस्ट नहीं करा पाए थे। इसी से बच्चे की हेल्थ का भी पता नहीं चल सका था।
एक लाख बच्चों में एक मामला ऐसा
खराब हेल्थ के कारण डाक्टर्स इसे बच्चे को बचा नहीं पाए। इस बच्चे की मौत जन्म के 4 दिन बाद ही हो गई। माना जाता है कि एक लाख बच्चों में से कोई एक मामला ऐसा देखने को मिलता है।
2016 में सामने आया था ऐसा मामला
इससे पहले ऐसा मामला 2016 में सामने आया था। उस साल उत्तर प्रदेश की एक महिला ने देश के पहले ‘जलपरी बच्चे’ को जन्म दिया था जो कि सिर्फ 10 मिनट तक ही जिंदा रह पाया था।
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