पुरुषों का हाल – इस बात में कोई शक नहीं है कि आज का समाज पुरुष प्रधान नहीं बल्कि महिला प्रधान बन चुका है।
हर कोई बस महिलाओं के अधिकार और उनकी सुरक्षा की बात करता है लेकिन कोई भी पुरुषों की चिंता नहीं करता कि इस सबके बीच वो भी तो पिस रहे हैं।
आज के महिला प्रधान समाज में पुरुषों का हाल ठीक नहीं है। वुमेंस डे के दिन हर मर्द को लगता होगा कि क्या वो अपने परिवार और इस समाज के लिए कुछ भी नहीं करते हैं जो उनके लिए कोई खास दिन नहीं बनाया गया है।
आज हम आपको कुछ ऐसी सिचुएशंस के बारे में बताने जा रहे हैं जिनसे आपको पता चल जाएगा कि आज के समय में इतनी सशक्त होने के बावजूद भी महिलाएं समाज और दुनिया के लिए अबला ही हैं।
पुरुषों का हाल –
१ – सोशल मीडिया पर हुए ट्रोल
इस तस्वीर में एएफएल मिड फील्डर जेम्स एश अपनी ओलंपियन गर्लफ्रेंड के साथ नज़र आ रहे हैं। इस तस्वीर में आप साफ देख सकते हैं कि जेम्स ने छाता ले रखा है जबकि उनकी गर्लफ्रेंड बारिश में भीग रही है। इस तस्वीर के सोशल मीडिया पर आते ही लोगों ने जेम्स की क्लास लगा दी। अगर ऐसा ही कुछ किसी लड़की ने किया होता तो शायद उस पर इतना बवाल नहीं उठता।
२ – पैसा ही पैसा
अगर आप कहीं भी डेट पर जाते हैं तो लड़कियां हमेशा यही उम्मीद करती हैं कि आप ही बिल भरें और कई लड़कियां तो ब्वॉयफ्रेंड ही अपने खर्चे उठवाने के लिए बनाती हैं। अगर यही काम कोई लड़का करने लगे तो ज़रा सोचिए उसकी कितनी बेइज्जती होगी। अब तो लड़कियां ये भी उम्मीद करती हैं कि डेट पर उनका पार्टनर उनके साथ आधा बिल शेयर करे और इन्हीं छोटी-छोटी बातों पर उनकी अगली डेट डिपेंट करती है लेकिन इस सबमें कोई ये नहीं जानना चाहता कि लड़के क्या चाहते हैं। वो सारा बिल खुद देना चाहते हैं या बांटना ?
३ – मर्द होना बन गया जुर्म
आज के ज़माने में दुनिया मर्दों को शक की निगाहों से देखती है जैसे कि मर्द होना कोई गुनाह हो गया हो। भले ही पुरुषों ने महिलाओं पर अत्याचार किए हों लेकिन आज समाज में कुछ ऐसे मर्द भी हैं जो महिलाओं के अधिकार के लिए लड़ते हैं।
४ – परी कथाओं में भी भेदभाव
परी कथाओं में भी पुरुषों के साथ भेदभाव किया गया है। कहानियों में जहां राजकुमारी को खूबसूरत नौजवान पति का वरदान मिलता है वहीं ज़रा सी गलती होने पर राजा को राक्षस बन जाने का श्राप मिल जाता है। ऐसा कई कहानियों में हुआ है जहां पुरुषों पर अत्याचार किया गया हो। आपने भी अपने बचपन में ऐसी कई कहानियां पढी होंगी जिनमें ऐसा कुछ किया गया हो।
आप चाहे कितना भी इनकार कर लें लेकिन ये बात तो सच है कि आज महिलाओं के सशक्तिकरण के चक्कर में पुरुषों का हाल बुरा है – पुरुषों की महत्ता कम होती जा रही है और हम बस केवल महिलाओं के योगदान का गुणगान करने लगे हैं जबकि समाज और परिवार को विकसित करने में पुरुषों का भी समान योगदान होता है लेकिन हम सभी इस बात से अनजान हैं।