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मर्द कितने शरीफ़ होते हैं ना! बिकनी पहनी हुई औरत के सिर्फ़ ढके हुए हिस्से पर ही नज़र डालते हैं!

एक महान कवि ने कहा है:

आदमी बन्दर जैसा, छलाँगें मारे जाए

चाहे तलवों की ही, बस नारी-चमड़ी दिख जाए!

कितनी सही बात कही है ना दोस्तों? अब देखो यार शर्माने, छुपने, शर्म से लाल होने की ज़रुरत नहीं है! आदमी हो तो चौड़ी छाती कर के स्वीकार करो ना कि औरत की चमड़ी देखते ही दिल के घंटे बजने लगते हैं, होशोहवास खो जाते हैं, अक्कल पर पत्थर पड़ जाते हैं और आँखें गटर के ढक्कन जैसी बड़ी हो जाती हैं?

मानो या ना मानो, सभी आदमियों के साथ यही होता है!

अब स्विमिंग पूल पर या बीच पर चमक रही किसी बिकिनी बाला को ही लीजिये; आँखों के एरीयल उसी की तरफ़ मुड़े रहेंगे! लेकिन यहाँ हुज़ूर मर्दों की शराफ़त की थोड़ी बहुत दाद देनी पड़ेगी! पूछिये कैसे?

अरे हुज़ूर ये जो मर्द, शरीफ़ मर्द, हैं ना, बिकिनी पहनी हुयी कन्या के शरीर के केवल ढके हुए हिस्से को ही टटोलते हुए नज़र आएँगे! बाक़ी पर तो कम ही ध्यान जाएगा! अब बिकिनी में ढके हुए हिस्से कौनसे होते हैं, ये बताने की ज़रुरत है क्या? 😛

चलिए हमने तो बिकिनी की बात कर डाली, उस में तो खैर छुपाने वाला कुछ ख़ास बचता नहीं, लेकिन आप कोई भी औरत ले लो, बस उसका बदन दिखना चाहिए, कहीं से भी, थोड़ा सा भी, फिर देखिये कैसे शरीफ़ मर्द अपना रंग बदलते हैं! हर बार ढके से थोड़े ही ना काम चलाएँगे? काम करने वाली बाई झुक के झाड़ू लगाए तो उनकी नज़र कहाँ जाती है, आप सोच सकते हैं! किसी मज़दूर औरत का पत्थर उठाते हुए साड़ी में से थोड़ा पेट नज़र आ जाए, मर्दों की नज़र वहाँ ऐसे चिपक जायेगी जैसे वहाँ गोंद लगी हुई हो! अरे फ़ैशन वाली फटी हुई जीन्स में से किसी लड़की का घुटना ही दिख जाए तो इन आदमियों का ब्लड प्रेशर ऊपर-नीचे हो जाता है!

कोई इन से पूछे कि भैया इतनी हाय-तौबा काहे मचाई है?

जैसी चमड़ी तुम्हारी, वैसी औरत की भी है!

और फिर उम्र, रंग, रूप, किसी का कोई तो लिहाज़ करो! ख़ुद तो खुली धोती, छोटी-छोटी शॉर्ट्स और कभी-कभी आधे-नंगे बदन घर के बाहर यूँ टहलते नज़र आते हैं जैसे सरकार से परमिट मिल गया है दुनिया पर अपने भद्दे शरीर से अत्याचार करने का!

कभी ख़ुद को शीशे में देखो, पूरे बदन की चमड़ी एक सी ही दिखती है! औरतों के बदन की चमड़ी में कोई शेयर मार्केट के राज़ तो छुपे नहीं हैं कि जब मौका मिला लगे पढ़ने हैवानों जैसे!

जैसे मर्दों को हक़ है कुछ भी पहन के कहीं भी कैसे भी घूमने का, वैसे ही औरतों को भी होना चाहिए! और जी नहीं, औरतें आपके बेडौल अजीब-ओ-गरीब बदन को हवस की नज़रों से नहीं देखतीं तो कृपया उन पर भी मेहरबानी करें, थोड़ा जियें और जीने दें!

चलिए अब अपनी आँखों को वापस सॉकेट में डालिये, आलोम-विलोम कीजिये, ध्यान लगाईये और बिकिनी वाली लड़की की छवि दिमाग से निकल कर किसी काम-धंदे पर लगिए!

Nitish Bakshi

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Nitish Bakshi

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