और कुछ जानना है सलमान ख़ान के बारे में?
और जो नहीं जानना है, वो भी बता दो! मीडिया उसकी भी ख़बर बना ही डालेगी!
कल अनुराग कश्यप ने एक मज़ाक किया और एक आँख पर पट्टी लगा डाली तो सभी पागल हो गए! किसी ने कहा झगडे में मार पड़ी तो किसी ने कहा एक्सीडेंट हो गया! बस एक बात होनी चाहिए, बतंगड़ तो मीडिया वाले सोते-सोते भी बना डालते हैं!
ये चटखारेदार ख़बरें सुनाने की ज़िद जाने कहाँ से लग गयी है इन्हें| किसी भी आम आदमी से पूछो तो वो हँसता हुआ पाया जाएगा ऐसी जाहिल ख़बरों पर लेकिन फिर भी सुबह-शाम ऐसी ख़बरें परोसी जाती हैं हमें! किसी हीरोइन का अंडरवियर दिख गया तो ख़बर, किसी नेता की भैंस ने जुगाली की तो वो भी ख़बर! क्या कोई सुपरस्टार रात को सोयेगा, वो भी ख़बर तो क्या ज़िंदा रहने के लिए खाना खाना ज़रूरी है, यह भी ख़बर!
पर इन ख़बरों से मिला क्या, आम आदमी की ज़िन्दगी में फ़र्क क्या पड़ा? किसी को फ़ायदा हुआ क्या? किसी का ज्ञान बढ़ा या किसी की समस्या का हल निकला? इस सभी सवालों का जवाब है एक बड़ा सा शून्य! लेकिन फिर भी ऐसी बेतुकी ख़बरों को हमारे सर पे लादा जा रहा है!
हाँ मेरी मर्ज़ी है कि मैं ऐसी ख़बरें पढ़ूँ या नहीं पढ़ूँ लेकिन अगर मुझे सच में जानना है कि दुनिया में क्या चल रहा है, ऐसा क्या हो रहा है जिसका सीधा असर मेरी ज़िन्दगी पर पड़ेगा तो मैं कहाँ जाऊं? कैसे पता करूँ? यह ज़िम्मेदारी पत्रकारों की ही तो है! इसी बात के उन्हें पैसे मिलते हैं और उनके इसी भरोसे पर हम उनके अखबार पड़ते हैं, पैसे देकर, कि भाई शायद मेरे काम की कोई बात होगी! पर नहीं जी, आलिया भट्ट की बिकिनी कैसी है और अमिताभ बच्चन की दाढ़ी के कितने बाल सफ़ेद हो गए हैं, इस से ज़्यादा कुछ नही मिलता पढ़ने को!
आजकल वैसे मीडिया के पास कुछ काम है नहीं| चाहते तो हैं दिन भर मसाला बनाएँ और दिखाएँ पर भैया कोई यह तो पूछो कि मसाला देखना कौन चाहता है? मसाले वाला खाना रोज़ खाने को मिले तो तबियत ख़राब हो जाती है! सादा खाना ही रोज़ भाता है जो सेहत बनाता है! काश यह मीडिया वाले इतनी सी बात समझ जाएँ!
चलूँ, ज़रा देखूँ शायद कहीं कुछ ढँग की बात की जा रही हो!
वरना न्यूज़ में पता नहीं आज किसके पजामे में नाड़ा डालना सीखा रहे होंगे!