गणपति महाराज विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता के नाम से जाने जाते हैं.
गणपति सारे देवताओं में प्रथम पूज्य मानें जाते हैं. हर बड़े कार्य की शुरुआत गणपति के नाम और पूजन से की जाती है.
शास्त्रों में गणपति को हर रूप में शुभ और फलदायक बताया गया है, लेकिन शास्त्रों के अनुसार ही गणपति के कुछ अंगो के दर्शन को वर्जित माना गया है.
गणपति के हर अंग का विशेष महत्व है, उनके अलग-अलग अंगों के दर्शन के अलग-अलग लाभ भी बताए गए हैं.
अगर गणपति के इन अंगों के दर्शन किए जाएं तो बनते कार्य में बाधा आ सकती है और जीवन में कई तरह की कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ सकता है.
आइये जानते हैं गणपति के अंगों दर्शन जो शास्त्रों में वर्जित है – और क्यों ?
गणपति के अंगों दर्शन जो शास्त्रों में वर्जित है –
1 – पीठ
गणपति के पीठ का दर्शन कभी नहीं करना चाहिए, क्योंकि गणपति के पीठ में दरिद्रता का वास होता है. पीठ के दर्शन से जीवन में दरिद्रता और आर्थिक तंगी आती है.
2 – नाभि
गणपति के नाभि का दर्शन नहीं करना चाहिए, उनकी नाभि के दर्शन से मानसिक विकार उत्पन्न होते हैं और नाभि के दर्शन से कई अन्य दोष लगते हैं.
3 – कंठ
गणपति के कंठ का दर्शन नुकसानदायक तो नहीं होता, लेकिन जीवन में आवाज़ संबंधी परेशानियां आती है.
4 – कमर ने नीचे
गणपति के कमर के नीचे के अंग का दर्शन जीवन में अनिष्टता को आमंत्रित करता है.
गणपति के अंगों दर्शन जो शास्त्रों में वर्जित है – गणपति जी के जो अंग ढके हुए हैं, उन अंगो के दर्शन शास्त्रों के अनुसार वर्जित है. इसलिए गणपति के इन अंगों को वस्त्र और आभूषण से ढ़ककर रखा जाता है, ताकि गणपति के उन अंगों पर गलती से किसी की निगाह ना जाए और अमंगल होने से रोका जा सके.
आप भी जब गणपति के दर्शन के लिए जाएं, तो इन बातों का विशेष ख्याल रखें और अगर गलती से यह अंग दिखाई दे तो गणपति बाप्पा से क्षमा मांग कर उनके मुख का दर्शन कर उनको लड्डू का भोग लगा दें, ताकि गणपति की कृपा आप पर हमेशा बनी रहे.