मायवती का मुकाबला – बहुजन समाज पार्टी यानी बसपा को अगर बहुमत नहीं मिला तो वह विपक्ष में बैठना पसंद करेगी. बसपा की मुखिया मायावती इन दिनों अपनी चुनावी सभाओं में इस बात को जोर देकर दोहरा रही है.
उनका साफ मतलब है कि मायवती का मुकाबला सपा से ज्यादा है, बीजेपी से कम. उनको यदि बहुमत नहीं मिला तो वो बजाए इसके कि भाजपा को समर्थन दे विपक्ष में बैठेगीं.
दरअसल, मायावती का यह बयान समाजवादी पार्टी के उस हमले के बाद आया है जिसमें सपा की ओर से बसपा पर हमला करते हुए कहा गया कि रक्षा बंधन आने वाला है और बसपा सुप्रीमों मायावती भाजपा नेताओं को राखी बांधने वाली है.
इस बयान का मतलब था कि चुनाव बाद सीटें कम पड़ने पर बसपा भाजपा को समर्थन भी दे सकती है. यानी इस बयान के जरिए अखिलेश यादव मुस्लिम मतों को साधना चाहते है. एक प्रकार से समाजवादी पार्टी मुस्लिम मतदाताओं को संकेतों के जरिए आगाह कर रही है कि बसपा को वोट देने का मतलब एक प्रकार से भाजपा के हाथ मजबूत करना है.
इसलिए उनको बसपा को वोट न देकर सपा के पक्ष में मतदान करना चाहिए. यही कारण है कि जिस प्रकार सपा ने बसपा को कठघरे में खड़ा करते हुए मुस्लिम मतों को अपनी ओर खींचने का प्रयास किया है उसका खंडन मायावती अपनी चुनावी सभाओं में कर रही है.
मायावती साफ कह रही है कि बहुमत न मिलने की स्थिति में वह बजाए भाजपा के साथ जानें के विपक्ष में बैंठना पसंद करेगी.
वही दूसरी ओर मुस्लिमों मतदाताओं के सामने बसपा की दावेदारी को जोरदार तरीके से प्रस्तुत करते हुए बसपा सुप्रीमों ने प्रधानमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. मायावती ने सुल्तानपुर की रैली में पीएम मोदी को उनके ही भाषण पर तीखा जवाब दिया है. दरअसल, पीएम मोदी ने उरई की रैली में कहा था कि बीएसपी का नाम बदलकर बहनजी संपत्ति पार्टी हो गया है.
इस पर मायावती ने कहा कि न ही मैंने शादी की और न ही संपत्ति बनाई है. पीएम मोदी नहीं जानते कि बीएसपी पार्टी बाद में है, एक आंदोलन पहले है. मैंने शादी नहीं की और पूरी जिंदगी अल्पसंख्यकों और दलितों के विकास में लगा दी.
इससे लगता है कि मायवती का मुकाबला बीजेपी से नहीं बल्कि सपा से है.