उत्तर प्रदेश में चाचा भतीजे की लड़ाई से जहां समाजवादी पार्टी में लोगों के होश उड़े हुए हैं वही वहीं भाजपा में इसको लेकर बेचैनी है।
लेकिन वहीं दूसरी ओर इस चाचा भतीजे की लड़ाई को लेकर बसपा सुप्रीमों मायावती बहुत खुश नजर आ रही है।
मुख्यमंत्री अखिलेश की मुंहबोली बुआ मायावती की तो मानों लाटरी निकल आई हो।
गौरतलब है कि कई मौको पर अखिलेश मायावती को बुआ कह चुके हैं। बहराल, मायावती की खुशी की जो वजह है वह यह कि प्रदेश में भाजपा विरोधी दलों की पूरी सियासत मुस्लिम वोटों के इर्द गिर्द ही होती है। सपा हो या बसपा उत्तर प्रदेश में दोनों ही दल जब भी सत्ता में आए तो उसमें मुस्लिम मतदाताओं की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाता बसपा और सपा में बंट गया जिसका लाभ भाजपा को मिला। और बसपा का खाता तक नहीं खुल सका था।
लेकिन इस बार मुस्लिम-यादव यानी एमवाई समीकरण से चुनाव लड़ने वाली समाजवादी पार्टी जबर्दस्त अंतकर्लह से जूझ रही है। ऐसी खबरें आ रही हैं कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बगावत कर नई पार्टी बना सकते हैं। इस स्थिति में मुस्लिम भाजपा को रोकने के लिए बसपा के पाले में जा सकता।
दरअसल, वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बहुलता वाले क्षेत्रों में सबसे ज्यादा 48 प्रतिशत सीटें समाजवादी पार्टी ने हासिल की थीं। जबकि बसपा के साथ करीब 18 प्रतिशत मुस्लिम थे। वहीं वर्ष 2007 में ऐसे क्षेत्रों में 44 फीसदी सीटें बसपा के खाते में गई थीं।
यूपी में करीब 19 प्रतिशत मुस्लिम वोट बैंक है. पारंपरिक रूप से यह सपा का वोट माना जाता है यही कारण है कि सपा के कलह में बसपा इस वोट में अपना अवसर देख रही है। मायावती इस वोट को अपनी तरफ लाने के लिए बार-बार बयान दे रही हैं। उनका मानना है कि 21-22 फीसदी दलित और 19 फीसदी मुस्लिम वोटों का बड़ा हिस्सा उन्हें मिल जाए तो वह पांचवीं बार सीएम बन सकती हैं।
यहां यह बता देना जरूरी है कि 2012 के विधानसभा चुनाव में करीब 200 सीटे ऐसी थी, जहां सपा और बसपा में सीधा मुकाबला हुआ था। यानी बसपा इन सीटों पर देसरे नंबर पर थी।
इसलिए बसपा को लगता है कि यदि सपा से यह वोट बसपा की ओर शिफ्ट हुआ तो मायावती के लिए वरदान साबित हो सकता है।
राजनीतिक जानकारों का भी मानना है कि इस समय करीब 65 फीसदी मुस्लिम समाजवादी पार्टी के साथ है। सपा में अंतकर्लह से पहले तक वह असमंजस में था कि वह सपा और बसपा में से किसके साथ जाए। लेकिन अब सपा के अंदर जो हालात है उस स्थिति में मुस्लिम मतदाता बसपा के साथ जाने का एकतरफा मन बना सकता है।
यही कारण है कि बसपा सुप्रीमों मायावती चाचा भतीजे की लड़ाई और अखिलेश के बगावती तेवरों से मिल रही खुशी से फूली नहीं समा रही हैं।
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