राजनीति

मायावती क्यों अपनाना चाहती है बौद्ध धर्म !

मायावती का धर्म परिवर्तन – बसपा अध्यक्ष मायावती आजकल खुद को और अपने कार्यकार्ताओं का धर्म परिवर्तन कर  बौद्ध धर्म में बदलने की धमकी दे रही है। मायावती संसद इस्तीफा भी दे चुकी है।

मायावती का धर्म परिवर्तन इच्छा या राजनीतिक वार

हालांकि किसी धर्म को अपनाना या न अपनाना किसी भी इंसान का निजी अधिकार है लेकिन क्या राजनीतिक हितों के लिए धर्म परिवर्तन करना सही है। दरअसल मायावती ने धर्म परिवर्तन की धमकी देश की सत्ताधारी पार्टी को दी है। क्योंकि मायावती का कहना है कि वो भाजपा के हिंदुत्व को बचाय रखने के लिए लोगों के धर्म परिवर्तन पर उनका उत्पीङना करने से आहत हैं। अगर भाजपा अपनी हरकतों से बाज नही आती है तो वो अपने दलित भाई बहनो सहित बौद्ध धर्म अपना लेंगी। जिसे भाजपा की हिंदुत्व की राजनीति कमजोर हो जाएगी। लेकिन ये हम सब जानते हैं कि भाजपा हिंदुत्व को बढावा देने वाली पार्टी है। लेकिन मायावती की इस धमकी से उनके पार्टी की मर्यादा भंग होती नजर आ रही है।

पहले भी कह चुकी है बौद्ध धर्म अपनाने की बात

हालांकि ऐसा पहली बार नही है जब मायावती ने बौद्ध धर्म अपनाने की बात कही हो। मायावती ने अपने मुख्यमंत्री बन से पहले ऐलान किया था कि वो नागपुर में भीमराव अम्बेडकर की धर्म परिवर्तन की पचासवी सालगिरह पर वो धर्म परिवर्तन करेगी।मायावती 2001 से 2010 के बीच दो बार यूपी की मुख्यमंत्री बनी थी । इस दौरान बौद्ध धर्म के लोगो की आबादी में काफी  गिरावट आई थी । इसी दौरान 14 अक्टूबर 2006  भीमराव अम्बेडकर के नागपुर में धर्म परिवर्तन के पचास साल पूरे हुए थे । इस मौके पर मायावती भी समारोह में भाग लेने नागपुर गई ।
सबको यकीन था कि मायावती अपने लोगो के साथ धर्म परिवर्तन करेंगी। लेकिन मायावती ने स्टेज पर जाकर अपने भाषण में कहा कि “अगर लोग उन्हें प्रधानमंत्री बना देंगे तो वो धर्म परिवर्तन कर लेंगी। ” और इतना कहकर और गुरुओ आर्शीवाद मायावती लौट आई।

भाजपा के साथ मिलकर किया था कभी चुनाव का प्रचार

मायावती आज जिस पार्टी पर धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों के उत्पीडऩ का आरोप लगा रही है। उन्ही के साथ मिलकर अपनी पार्टी को सर्वजन पार्टी तक कह दिया था। जबकि उसे पहले तक मायावती सिर्फ दलितों का प्रचार प्रसार करती थी और अपनी पार्टी को दलितों की पार्टी कहती थी। मायावती भाजपा के साथ मिलकर चुनाव प्रचार के लिए गुजरात भी जा चुकी है। हालांकि अनबन के बाद मायावती दोबारा अपनी पार्टी को दलितों की ही पार्टी कहने लगी।

बौद्ध धर्म अपनाने से फायदा नुकसान

लेकिन एक तरीके से देखा जाए तो मायावती की भाजपा को ये धमकी दरअसल मायावती खुद के राजनीतिक करियर को बचाने का एक तरीका है । क्योंकि मायावती की पार्टी और मायावती सबसे बुरे राजनीतिक दौर से गुजर रही है। हालांकि आज के दौर में ऐसे मुद्दों को उठाकर राजनीतिक लाभ पाना मुश्किल है बल्कि हो सकता है कि लोग मायावती को ही गलत समझने लगे। बहरहाल मायावती का धर्म परिवर्तन होता है – इस बार बौद्ध धर्म अपनाती है या फिर धमकी सिर्फ जुबानी खेल बनकर रह जाती है वो तो वक्त ही बताएगा।

Preeti Rajput

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