विश्व कप 2015 की इस हार के बाद, आरोप लगाये जा रहे हैं कि ऑस्ट्रेलिया के हाथों सेमीफाइनल की हार, मैच फिक्सिंग का नतीजा है.
यह फिक्सिंग खिलाड़ियों ने नहीं की, बल्कि इस फिक्सिंग में आईसीसी का भी हाथ था.
आरोप लगा है तो अब जांच भी बनती है, पर शायद यह छानबीन कोई सरकारी एजेंसी नहीं करने वाली है, कोई खेल विभाग नहीं करने वाला है.
शिव सेना के मुख पत्र दोपहर का सामना में छपी खबर के अनुसार यह मैच, खेल की भावना के तहत नहीं खेला गया, अपितु यह तो बस खेल के नाम पर मजाक था.
आइये देखते हैं कि क्यों फिक्सिंग के आरोप लग रहे हैं मैच पर-
ऑस्ट्रेलिया जब बैटिंग कर रही थी, तब 23 वे ओवर की चौथी बाल पर एरान फिंच को आउट नहीं देना, एक जांच का विषय है. जबकि जब धोनी ने तीसरे अंपायर की मदद ली, तब गेंद विकेट पर जाती दिख रही थी और तीसरे अंपायर ने भी फिंच को आउट नहीं दिया.
अब भारत की पारी में जब रहाने बैटिंग कर रहे थे तब उनका आउट देना एक जांच करने का विषय है. गेंद जब बैट से लगी, नज़र आ रही है तब उनको आउट क्यों दिया गया.
इन फैसलों पर भारत के महान खिलाड़ी सुनील गावस्कर ने भी ऊँगली उठाई. साथ में ही पाकिस्तानी कमेन्टर शोएब अख्तर को भी ये फैसले कुछ रास नहीं आये.
भारतीय टीम के प्रदर्शन की जांच क्यों नहीं होनी चाइये? कोहली का 13 गेंदों में 1 रन बनाना और रैना का हड़बड़ी में आउट होना, खेल प्रेमियों को शक करने पर मजबूर कर रहा है.
वहीँ अब तक तो पूरे विश्व कप में टीम की फील्डिंग कमाल की थी पर सेमी फाइनल में घटिया फील्डिंग करना और कैच ना लेना, भी सवालों को मुंह उठाने के लिए मजबूर करता है.
कुछ बड़े सीनियर खिलाड़ी बस इतना ही बोल रहे हैं कि अब क्रिकेट की दुनिया पर पैसा हावी हो चुका है.
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