रामभक्त हनुमान के बारे में कहा जाता है कि वो अजर अमर हैं और आज भी इस धरती पर मौजूद हैं.
कहा जाता है कि हमारे देश में एक ऐसी जगह भी है, जहां आज भी रामभक्त हनुमान अपने भक्तों से भेंट करने के लिए आते हैं, जहां वो बकायदा कुछ दिन भक्तों के बीच गुज़ारते हैं और फिर वापस लौट जाते हैं.
हर 41 साल बाद आते हैं हनुमान
सेतु एशिया नाम की एक वेबसाइट का दावा है कि श्रीलंका के जंगलों में एक ऐसा आदिवासी समूह रहता है, जिस दुनिया का संपर्क इस बाहरी दुनिया से बिल्कुल कटा हुआ है. उनका रहन-सहन और बोली भी बिल्कुल अलग है.
सेतु एशिया की मानें तो हनुमानजी हर 41 साल के बाद इस समुदाय के लोगों से मिलने के लिए आते हैं.
2014 में मातंग समुदाय से मिले थे हनुमान
सेतु एशिया नाम के आध्यात्मिक संगठन दावा है कि श्रीलंका के घने जंगलों में रहनेवाले मातंग समुदाय के लोगों से मिलने के लिए हनुमान जी साल 2014 में आए थे.
जहां 27 मई 2014 को उन्होंने मातंग समुदाय के साथ आखिरी दिन बिताया था, जिसके बाद अब साल 2055 में हनुमान जी इन लोगों से मिलने के लिए फिर आएंगे.
रामायण काल से जारी है यह सिलसिला
कहा जाता है कि मातंग समुदाय के लोगों का रामभक्त हनुमान के साथ एक खास रिश्ता है, जो रामायण काल से ही चला आ रहा है.
मातंगों के मुताबिक हनुमान जी ने उनसे वादा किया था कि उन्हें आत्मज्ञान देने के लिए वो हर 41 साल बाद उनसे मिलने आएंगे. तब से लेकर हर 41 साल बाद हृनुमान जी यहां मातंगों को आत्मज्ञान देने के लिए आते हैं.
इस पर अध्ययन करनेवाली इस वेबसाइट के मुताबिक जब हनुमान जी मातंगों से मिलने के लिए आते हैं तो उनके प्रवास के दौरान किए गए हर कार्य और उनके द्वारा बोले गए हर शब्द का विवरण इन आदिवासियों के मुखिया बाबा मातंग अपनी हनु पुस्तिका में नोट करते हैं.
बताया जाता है कि साल 2014 के प्रवास के दौरान हनुमान जी द्वारा जंगल वासियों के साथ की गई सभी लीलाओं का विवरण भी इसी पुस्तिका में नोट किया गया है.
मातंगों को हनुमान ने दिया था वचन
श्रीलंका के नुवारा एलिया शहर में स्थित पिदुरु पर्वत के आसपास घने जंगल हैं और इन्हीं जंगलों में आदिवासियों के कई समूह रहते हैं.
कहते हैं कि जब प्रभु श्रीराम ने अपना मानव जीवन पूरा करके जल समाधि ले ली थी, तब रामभक्त हनुमान फिर से अयोध्या को छोड़कर जंगलों में रहने चले गए थे.
श्रीराम का ध्यान करते हुए हनुमान जी ने कुछ दिन श्रीलंका के जंगलों में गुज़ारे. उस दौरान पिदुरु पर्वत पर रहनेवाले कुछ मातंग आदिवासियों ने उनकी खूब सेवा की थी. उन लोगों की सेवा से खुश होकर हनुमान जी ने उन्हें हर 41 साल बाद मिलने का वचन दिया, जिसे वो आज भी निभा रहे हैं.
रहस्यमय मंत्र को सुनते ही प्रकट होते हैं हनुमान
कहा जाता है कि मातंगों के पास एक ऐसा रहस्यमय मंत्र है, जिसका जाप करने से रामभक्त हनुमान सूक्ष्म रूप में प्रकट हो जाते हैं. जंगलों से निकलकर वे भक्तों की सहायता करने मानव समाज में आते हैं, लेकिन किसी को दिखाई नहीं देते.
“कालतंतु कारेचरन्ति एनर मरिष्णु , निर्मुक्तेर कालेत्वम अमरिष्णु”
इस रहस्यमय मंत्र को खुद हनुमान जी ने पिदुरु पर्वत के जंगलों में रहने वाले कुछ आदिवासियों को दिया था.
बहरहाल यहां के मातंग कहते हैं कि रामभक्त हनुमान के दर्शन के लिए सिर्फ मंत्र का उच्चारण ही काफी नहीं है बल्कि शुद्ध मन और उनके प्रति अपार श्रद्धा ही उन्हें अपने भक्तों के पास आने के लिए विवश करती है.
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