9. माता के दरबार में हनुमान जी भी हाजरी देते हैं. ऐसा शास्त्रों की कथाओं में बताया गया है कि जब भैरवनाथ ने माता को युद्ध के लिए ललकारा था तो भैरव का पहला युद्ध हनुमान जी से ही हुआ था. जब हनुमान जी निढाल होने लगे थे तो माता ने काली का रूप लेकर भैरवनाथ का सर काटा था.