त्रेता युग में जब राम सीता का जन्म मानव रूप में हुआ था, तब राजा दशरथ के पिंडदान के वक़्त ऐसी घटना हुई थी कि माता सीता ने वहां उपस्थित लोगो से झूठ बोलने वाले को ऐसा श्राप दिया था, जिसका प्रभाव आज भी उन पर दिखाई देता है.
आइये जानते हैं आखिर क्या हुआ था और किस किसको मिले थे सीता माता के श्राप –
सीता माता के श्राप –
ये थे सीता माता के श्राप – सीता माता के इन श्रापों की वजह से इन चारों के समाज आज भी श्रापित अवस्था से गुज़र रहे है.
आज भी ब्रम्हाण को कितना भी दान मिले लेकिन उसके मन में दरिद्रता बनी रहती है, गाय पूजनीय होकर भी हर घर का जूठा खाना खाती है, फाल्गु नदी हमेशा सुखी हुई रहती है, और कौआ अपना पेट भरने के लिए झुण्ड में खाना खाता है और उसकी आकस्मिक मौत ही होती है.
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