सिद्धिदात्री देवी की पूजा नवरात्रों के नौंवे दिन की जाती है.
किन्तु इस बार आठ दिन के नवरात्रे होने की वजह से यह पूजा आठवें दिन होनी है.
माता सिद्धिदात्री सर्व सिद्धियां प्रदान करने वाली देवी हैं. उपासक या भक्त पर इनकी कृपा से कठिन से कठिन कार्य भी चुटकी में संभव हो जाते हैं. हिमाचल के नंदापर्वत पर इनका प्रसिद्ध तीर्थ है.
माता सिद्धिदात्री कमल के आसान पर विराजमान हैं तथा माता सिंह की सवारी करती हैं. चार भुजाओं वाली माता सिद्धिदात्री के हाथों में कमल, शंख गदा और सुदर्शन चक्र शुशोभित है, जो हमें बुरे कर्मों को छोड़कर सदमार्ग पर चलने की प्रेरड़ा प्रदान करता है. नवमी के दिन मां की आराधना करने से भक्तों को यश, बल व धन की प्राप्ति होती है.
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि
दुर्गा पूजा में इस तिथि को विशेष हवन किया जाता है. यह नौ दुर्गा का आखरी दिन भी होता है तो इस दिन माता सिद्धिदात्री के बाद अन्य देवताओं की भी पूजा की जाती है. सर्वप्रथम माता जी की चौकी पर माता सिद्धिदात्री की तस्वीर या मूर्ति रख इनकी आरती और हवन किया जाता है. हवन करते वक्त सभी देवी दवताओं के नाम से हवि यानी अहुति देनी चाहिए.
बाद में माता के नाम से अहुति देनी चाहिए. दुर्गा सप्तशती के सभी श्लोक मंत्र रूप हैं.
अत:सप्तशती के सभी श्लोक के साथ आहुति दी जा सकती है. देवी के बीज मंत्र “ऊँ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमो नम:” से कम से कम 108 बार हवि दें. भगवान शंकर और ब्रह्मा जी की पूजा पश्चात अंत में इनके नाम से हवि देकर आरती करनी चाहिए. हवन में जो भी प्रसाद चढ़ाया है जाता है उसे समस्त लोगों में बांटना चाहिए.
ध्यान
वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्.
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥
स्वर्णावर्णा निर्वाणचक्रस्थितां नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम्.
शख, चक्र, गदा, पदम, धरां सिद्धीदात्री भजेम्॥
पटाम्बर, परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्.
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदना पल्लवाधरां कातं कपोला पीनपयोधराम्.
कमनीयां लावण्यां श्रीणकटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
स्तोत्र पाठ
कंचनाभा शखचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो.
स्मेरमुखी शिवपत्नी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालंकारं भूषिता.
नलिस्थितां नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोअस्तुते॥
परमानंदमयी देवी परब्रह्म परमात्मा.
परमशक्ति, परमभक्ति, सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥
विश्वकर्ती, विश्वभती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता.
विश्व वार्चिता विश्वातीता सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥
भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी.
भव सागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥
धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनी.
मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥
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