शादीशुदा मगर कुंवारी महिलाएँ – हमारे पुराणों में कुछ ऐसी महिलाओं का ज़िक्र हैं जो थी तो शादीशुदा, लेकिन उन्हें कुंवारी माना जाता है.
पुराणों में कुछ महिलाओं के लिए कन्या शब्द का उपयोग किया गया है, नारी शब्द का नहीं. आश्चर्य की बात ये है कि इन महिलाओं के पति के अलावा अन्य पुरुष से भी संबंध थें, फिर भी इन्हें कौमार्या माना गया है.
चलिए आपको बताते हैं ऐसी ही 4 शादीशुदा मगर कुंवारी महिलाएँ –
शादीशुदा मगर कुंवारी महिलाएँ –
१ – अहिल्या-
पद्मपुराण के अनुसार ऋषि गौतम की पत्नी अहिल्या बहुत सुंदर थी. एक बार देवराज इंद्र यहां वहां घूम रहे थे तभी उनकी नज़र देवी अहिल्या पर पड़ी और वे उन पर मोहित हो गए. एक बार जब गौतम ऋषि सुबह अपने स्नान और पूजन के लिए घर से निकले तो उनका रूप बनाकर इंद्र वहां पहुंच गया. गौतम ऋषि को देखकर अहिल्या ने उनसे पूछा कि आप इतनी जल्दी कैसे लौट आए तब इंद्र ने उनसे प्रणय निवदेन किया. इंद्र ने मौके का फायदा उठाकर अहिल्या से संबंध बनाए. तभी ऋषि गौतम भी लौट आए और उन्होंने अपनी पत्नी को जब दूसरे पुरुष के साथ देखा तो क्रोध से अहिल्या को पत्थर होने का शाप दिया और इंद्र को भी शाप दिया. जब क्रोध शांत होने पर उन्हें पूरा सच समझ आया तो उन्होंने अहिल्या को राम के पैरों से स्पर्श होने पर इस शाप से मुक्ति का आशीर्वाद दिया. अहिल्या अपने पति के प्रति पूरी तरह निष्ठावान थी. यही कारण था कि अपनी गलती न होने पर भी उनके दिए शाप को उन्होंने स्वीकार कर लिया. इसलिए उन्हें कौमार्या माना गया है.
२ – मंदोदरी-
मंदोदरी की सुंदरता देखकर रावण ने उससे विवाह किया, मगर मंदोदरी बहुत बुद्धिमान थी. उसने हमेशा रावण को समझाया क्या सही है और क्या गलत, लेकिन उसने कभी बात नहीं मानी. रावण की मौत के बाद श्रीराम के कहने पर विभीषण ने मंदोदरी को आश्रय दिया. मंदोदरी के इसी गुण के कारण उन्हें महान माना गया है और उनकी पवित्रता को कन्याओं के तुल्य माना गया है.
३ – द्रौपदी-
पांच पतियों की पत्नी बनने वाली द्रौपदी का व्यक्तित्व काफी मजबूत था. स्वयंवर के दौरान अर्जुन को अपना पति स्वीकार करने वाली द्रौपदी को कुंती के कहने पर पांचों भाइयों की पत्नी बनकर रहना पड़ा. जीवनभर द्रौपदी ने पांचों पांडवों का हर परिस्थिति में साथ दिया. यदि द्रोपदी किसी एक पांडव के साथ रहने की जिद करती तो शायद भाईयों में कभी ऐसा प्रेम और सामांजस्य नहीं रह पाता. इसलिए अपनी खुशी के विपरित अपने कुल और राज्य के भविष्य के लिए कुंती ने पांचों पांडवों की पत्नी होने का निर्णय लिया. इसलिए उनके स्मरण से पाप का नाश होता है. यहां बताई गई सभी स्त्रियों ने हमेशा अपने कर्तव्यों का पालन ईमानदारी से किया है. इसलिए इन पांचों का स्मरण करना धर्म ग्रंथों में महापाप को नाश करने वाला माना गया है.
४ – कुंती-
हस्तिनापुर के राजा पांडु की पत्नी और तीन पांडवों की माता कुंती को ऋषि दुर्वासा ने एक ऐसा मंत्र दिया था. जिसके उपयोग से वह जिस भी देवता का ध्यान कर उस मंत्र का जप करेंगी, वह देवता उन्हें पुत्र रत्न प्रदान करेगा. कुंती उस मंत्र को परखना चाहती थी. उन्होंने सूर्य का ध्यान किया सूर्य प्रकट हुए और उन्हें पुत्र प्रदान किया. इस तरह कर्ण का जन्म हुआ. इसलिए उन्हें कर्ण का त्याग करना पड़ा. स्वयंवर में कुंती और पांडु का विवाह हुआ. पांडु को एक शाप था कि वह स्त्री को स्पर्श करेंगे तो मृत्यु हो जाएगी. पांडु की मृत्यु के बाद कुरु वंश खत्म न हो जाए और राज्य अनाथ न हो इसलिए कुंती ने धर्म देव से युधिष्ठिर, वायुदेव से भीम और इंद्र देव से अर्जुन को पाया. यही कारण है कि अलग-अलग देवताओं से संतान पाने के बाद भी कुंती को कौमार्या माना गया है.
ये है शादीशुदा मगर कुंवारी महिलाएँ – तो अब आप समझ गए होंगे कि आखिर क्यों इन चार महिलाओं को कुंवारी माना जाता है. भले ही इनके कई पुरुषों से संबंध थे, मगर इन्होंने अपने रिश्ते को पूरी ईमानदारी से निभाया.