मैरीटल रेप – दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाई कोर्ट के उस फैसला को सही बताया है जिसमें राजस्थान हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था कि पत्नी के साथ की गई घरेलू हिंसा के खिलाफ पत्नी तलाक के बाद भी अपील कर सकती है।
दरअसल राजस्थान हाई कोर्ट ने एक पत्नी की याचिका में फैसला दिया था। जिसके खिलाफ पति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी। इसी याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाइ कोर्ट के फैसले को सही बताया था।
यह तो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट का फैसला है और इसका हर जगह स्वागत किया गाय है।
लेकिन कानून का क्या?
क्योंकि हमारे कानूनों में ही इतने पेच हैं कि महिलाओं की एक उम्र अपने लिए इंसाफ मांगते ही गुजर जाती है। यह तो वे मामले होते हैं जिनमें सजा का प्रावधान है। उन मामलों का क्या जिनमें सजा का कोई प्रावधान ही नहीं है?
मैरीटल रेप कानून की नजर में गलत नहीं
दरअसल अपने देश में महिलाओं को कितना इंसाफ मिलता है इसका अंदाजा इसी चीज से लगाया जा सकता है कि महिलाओं के साथ शादी के बाद उसका पति जबरदस्ती करता है लेकिन कानून की नजर में गलत नहीं है।
नीशू की कहानी
दिल्ली के निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के पास बसी झुग्गी झोपड़ी में रहने वाली नीशू (बदला हुआ नाम) का कहना है कि “मेरा पति रोज रात को दारू पीकर आता है और मुझसे जबरदस्ती करता है। मैं मना करती हूं तो भी सुनता नहीं और मुझे पहले मारता-पीटता है। लेकिन फिर भी उसके बाद जबरदस्ती जरूर करता है… लेकिन करता जरूरत है। उसको कोई फर्क नहीं पड़ता अगर मैं बीमार हूं या मुझे चोट लगी है। उसे केवल दस मिनट के लिए मेरे साथ सोना होता है। ”
चालीस फीसदी महिलाओं के साथ होता है मैरीटल रेप
लेकिन, इंडिया में उर्फ भारत, ( India तो अपना litertae है। वहां ऐसा नहीं होता? ) में ऐसी घटना का सामना अमूमन चालीस फीसदी से अधिक माहिलाओं का करना होता है। CNN की एक रिपोर्ट यह बताती है कि भारत (india) में अनजान लोगों द्वारा बलात्कार (rape) की शिकार होने वाली महिलाओं (women) की अपेक्षा उन महिलाओं (women) की तादाद 40 गुना ज्यादा है जो अपने घर में अपने पति द्वारा जोर जबरदस्ती का शिकार होती हैं।
यह हैरानी की ही बात है कि उस देश में मैरीटल रेप पर बात नहीं होती है जहां रेप की घटनाएं सुर्खियां बनती हैं। अखबारों के पहले पन्ने पर छपती हैं। कई बार international level पर भी खबरें बन जाती हैं। उस देश में एक तरह का रेप ऐसा भी है जो चर्चा का विषय नहीं केवल आपसी मामला होता है। वहां … जहां एक महिला शादी के बाद पूरे दिन काम में लगे रहती है और रात को पति के साथ बिस्तर में लगे रहती है।
क्या ये सही है?
Of course, इस बारे में हर महिलाओं का जवाब ना होगा। लेकिन अपने देश में महिलाओं के लिए एक अनकही रीत है कि “महिलाएं ना नहीं कह सकती हैं।”
समाज ने साधी है चुप्पी
शादी के बाद पति से की जाने वाले रेप पर हमारे सभ्य समाज ने चुप्पी साधी हुई है। और इस बात का क्याल मुझे रह-रहकर ही आ जाता है।
पता नहीं कब हालात सुधरेंगे? वैसे हालात सुधरने की ज्यादा उम्मीद भी नहीं है। क्योंकि ले कानून इसे आपसी मामला बताता है और ploitician इस पर कानून नहीं बनाते क्योंकि हमारे यहां विवाह को एक पवित्र-बंधन माना जाता है’। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हरिभाई पारथीभाई ने कहा, “वैवाहिक बलात्कार को जिस तरह विदेशों में समझा जाता है उस तरह भारत में लागू करना संभव नहीं क्योंकि हमारी सामाजिक, धार्मिक सोच, आर्थिक स्थितियां, रीति-रिवाज़ अलग हैं और हमारे यहां विवाह को एक पवित्र-बंधन माना जाता है।”
सुप्रीम कोर्ट भी ख़ारिज कर चुका है ऐसा अर्जी
इस तरह की अर्जी सुप्रीम कोर्ट भी खारिज कर चुका है। दरअसल मैरिटल रेप के खिलाफ 18 फ़रवरी 2015 को सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी ख़ारिज हो चुकी है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने निजी पारिवारिक मामला होने का कारण बताया था।
इसके बाद सरकार ने भी संसद में इसे निजी मामला बताते हुए कह दिया कि मैरिटल रेप (marital rape) को अपराध (crime) के दायरे में रखा जाना उचित नहीं है।
क्या कानून ने दी है मैरिटल रेप की इजाजत?
ऐसा बोलना नहीं चाहिए, लेकिन लगता ऐसा है कि मैरिटल रेप की इजाजत कानून ने ही दी हुई है। सुप्रीम कोर्ट के वकील वैभव चौधरी कहते हैं कि इंडिया के कानून में मेरिटल रेप को कहीं भी define नहीं किया गया है। इस कारण ये punishable offence नहीं है। आईपीसी की धारा 375 के अनुसार पत्नी अगर 15 साल से कम है तो भी उसके साथ सेक्स करना रेप नहीं है।
अब इसमें क्या कह सकते हैं… क्योंकि अगर कानून में प्रावधान नहीं है तो आप पुलिस में एफआईआर दर्ज नहीं करा सकती हैं और जब केस दर्ज नहीं होंगे तो सरकारी आंकड़ें नहीं बनेंगे। और सरकारी आंकड़ें नहीं तो… आपकी शिकायतें, समस्याएं … आदि सारी केवल बातें हैं।