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३ दिन में ३ करोड़ ने बनाया एक नया उदाहरण

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मराठी फिल्म किल्ला ने ३ दिन में ३ करोड़ का बिज़नेस बोक्स आफिस पर किया है.

पुरानी धारणा अब टूट गई है. माना जाता था कि किसी  फिल्म अगर राष्ट्रिय पुरस्कार मिलता है तो वह प्रेक्षकों के लिए बोरिंग होती है और बोक्सआफिस पर वो हिट होने से रह जाती है.

कई राष्ट्रीय-आंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवलों में इस फिल्म को अवार्ड मिले है, तब जाके इस फिल्म का स्वाद भारतीय प्रेक्षक ले पाए.

ये फिल्म बड़ी ही अनोखी है. कई मोड़ से होते हुए यह फिल्म आगे बढती है और दर्शकों को अपना बना लेती है.

फिल्म किल्ला
सबसे बेहतरीन ये फिल्म को बनाने के पीछे निर्देशक का अनुभव दिखता है. जो इस फिल्म में साफ़ झलक रहा है.

अपने जीवन में हो रहे बदलाव को स्वीकारना और उसे खुद अपनाना कैसा अलग है यह इस फिल्म में दिखाया गया है. इस फिल्म में हर वो बात को दिखाने की कोशिश की है जिस मोड़ से सभी लोग अपने जीवन से गुजरे है. इस फिल्म में सभी किरदार बड़े तजुर्बे से बनाए गए है ख़ास करके बच्चों के. ‘किल्ला’ जितनी उसकी कथा में है, उससे कहीं ज़्यादा उसकी गतिमान तस्वीरों में है, उसकी ख़ामोश ध्वनियों में है. यह संवादों से ज़्यादा मौन से भावों की अभिव्यक्ति करती है.

फ़िल्म के एक निर्णायक मोड़ पर जहाँ चिन्मय विकराल बरसात के मध्य किले के भीतर अकेला छूट गया है और अचानक उसके अवचेतन में बसे सारे डर उसे अपनी आँखों के सामने जीवित दिखाई देने लगे हैं, वह चिल्लाता है. फ़िल्म यहाँ अद्भुत प्रयोग के चलते उसकी आवाज को मूसलाधार बरसात की घनीभूत ध्वनि के पीछे छिपे मौन में बदल देती है. इस प्रयोग की वजह से न सिर्फ़ हम उसके दोस्तों से अलग अकेला छूट जाने के तात्कालिक डर को जान पाते हैं, उसके अवचेतन में बसे पिता की मृत्यु से उपजे अकेलेपन से भी परिचित होते हैं. यहाँ कथा में मौजूद वास्तविक किला दरअसल अबोले की उन अभेद्द भावनात्मक दीवारों का प्रतीक है जिसे छोटा-बड़ा हर इंसान अपने दुख को ‘अद्वितीय’ समझ, अपने मन के चारों अोर रच लेता है.

किल्ला का ऑफिसियल ट्रेलर

https://www.youtube.com/watch?v=5ORlbsJLJuQ

पिछले कुछ ३ वर्षों से मराठी सिनेमा उत्कृष्ट कथाओं पर फिल्मे बना रहा है.

नए प्रयोग करते हुए एक अलग छवी देश और विदेशों में बना रहे है. अचानक से मराठी फिल्म इंडस्ट्री में नई ताज़गी भर गई है. जिस कारण डूबती हुई ये इंडस्ट्री अब हिंदी फिल्मो को टक्कर देने के लिए तैयार हो गई है. नटरंग, जोगवा, अस्तु, यलो, आजचा दिवस माझा, फॅन्ड्री, तुझ्या धर्म कोंचा और कोर्ट फिल्मों ने हालही में विभिन्न पुरूस्कार प्राप्त किए है.

शायद यह भी एक वजह है की अब मराठी फिल्म इंडस्ट्री में आगे बढने की होड़ लग गई है.

मराठी फिल्मो की बढती हुई लोकप्रियता और गुणवाता को देखते हुए काफी बोलीवूड के सितारे मराठी फिल्मो में काम करना चाह रहे है. किल्ला की इस बोक्सआफिस पर बनती सफलता ने अब देश भर के फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बना ली है.

अब बोल सकते है कि मराठी फिल्म इंडस्ट्री की ओर से प्रेक्षकों की देखने की दृष्टि वाकई में बदल गई है.