मराठा आंदोलन – आरक्षण की आग में महाराष्ट्र एक बार फिर जल रहा है. मराठा समुदाय ने बुधवार को नवी मुंबई, मुंबई, ठाणे, रायगढ़ और पालघर में जो बंद करवया है उसकी वजह से अधिकांश जगहों पर दुकाने बंद रही, सड़क पर वाहन भी कम ही दिखे.
हालांकि मुंबई की लोकल ट्रेन पर इसका कोई असर नहीं दिखा है. कई जगहों पर बंद की वजह से स्कूलों में छुट्टी भी दे दी गई और राज्य में थोड़ा दहशत का माहौल बना हुआ है. पूरे राज्य में सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए हैं.
महाराष्ट्र जिस मराठा आंदोलन की आग मे जल रहा है आइए, आपको बताते हैं कि आखिर माराठा चाहते क्या हैं?
सोमवार को मराठा आंदोलन समर्थक एक व्यक्ति की आत्महत्या के बाद आंदोलन उग्र हो गया और इसका सबसे ज़्यादा असर औरंगाबाद जिसे में देखा गया, जहां लोगों ने जमकर हंगामा किया और बसे भी जला दी. वहीं एक और युवक ने मंगलवार की सुसाइड की कोशिश की थी, फिलहाल वो अस्पताल में है.
दरअसल, मराठा समुदाय राज्य में नौकरीयों और शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण की मांग लंबे समय से कर रहा है.
हाल ही में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणवीस ने 72 हजार सरकारी नौकरियों की भर्ती में मराठों के लिए 16 प्रतिशत पद आरक्षित रखने का फैसला किया है, मगर उनके इस ऐलान से भी माराठाओं का गुस्सा शांत नहीं हुआ.
दरअसल, वो महाराष्ट्र में ओबीसी के दर्जे की मांग कर रहे हैं. इससे पहले भी ये लोग अपनी मांगों को लेकर पूरे राज्य में बड़े मार्च कर चुके हैं. 2014 में कांग्रेस-एनसीपी की सरकार ने मराठा समुदाय को नौकरियों और शिक्षण संस्थानों मे 16 प्रतिशत आरक्षण दिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के फ़ैसले पर रोक लगा दी थी और कहा था कि कुल आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से ज़्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता और इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि मराठा समुदाय आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ेपन का शिकार है.
कोर्ट इन्हें किसी भी रूप में पिछड़ा हुआ नहीं मानती, फिर भी इन्हें किस आधार पर आरक्षण चाहिए पता नहीं.
वैसे भी मराठा समुदाय महाराष्ट्र का पावरफुल समुदाय माना जाता है इनका राजनीती में भी दबदबा रहा है.
1960 में महाराष्ट्र बनने के बाद से अब तक कुल 17 मुख्यमंत्रियों मे से 10 इसी समुदाय से हैं. इतना ही नहीं राज्य के करीब 50 प्रतिशत शैक्षिक संस्थाओं पर मराठा नेताओं का कब्जा है. महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था में चीनी मिलों का खास रोल है.
सूबे के करीब 200 चीनी मिलों में से 168 पर मराठाओं का ही नियंत्रण है. इसी तरह करीब 70 प्रतिशत जिला सहकारी बैंकों पर मराठाओं का नियंत्रण है. ऐसे में क्या आपको लगता है कि मराठा समुदाय पिछड़ा हुआ है?
हमारे देश मे ऐसा लगता है आरक्षण एक राजनैतिक हथियार बन गया है, जिसका इस्तेमाल करके बस कुछ लोग राज्य और देश की सुख-शांति खराब करते हैं. आरक्षण की आग में कभी हरियाणा तो कभी कोई और राज्य जलता ही रहता है, न जाने ये आरक्षण की राजनीति कब बंद होगी?
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