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लंकापति रावण के वध के बाद मंदोदरी का क्या हुआ था, क्या आप जानते हैं इस बारे में

रावण के वध के बाद

रावण के वध के बाद – बचपन से लेकर अभी तक हम सभी ने रामायण के बारे में सुना और पढ़ा है। श्रीराम और सीता मां के जीवन से जुड़ा ये ग्रंथ हमे ज़िदंगी से जुड़ी कईं बातें सिखाता है।

रामायण में रावण ने सीता मां का हरण किया था और उसके बाद श्री राम ने रावण का वध किया।

इस बारे में तो हम सभी जानते हैं लेकिन रावण के वध और लंका दहन के बाद रावण की पत्नी मंदोदरी के साथ क्या हुआ, ये शायद ही कोई जानता है। रामायण में इस बात का ज़िक्र है कि सीता हरण के बाद मंदोदरी ने कईं बार रावण को समझाया था कि वो देवी सीता को श्रीराम को वापिस लौटा दें, मंदोदरी हमेशा रावण को गलत मार्ग पर चलने से रोका करती थी लेकिन रावण ने किसी की बात नहीं सुनी और उसका जो परिणाम हुआ, वो तो सब जानते ही हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी के साथ क्या हुआ था।

अधिकतर लोगों का जवाब ना ही होगा.

तो चलिए हम आपको रावण के वध के बाद मंदोदरी के बारे में बताते हैं।

रावण के वध के बाद –

सबसे पहले आपको मंदोदरी के जन्म के बारे में बताते हैं, दरअसल किवदन्तियों में इस बात का वर्णन है कि मथुरा नाम की एक अप्सरा थी जो देवी पार्वती की अनुपस्थिति में भगवान शिव को आकर्षित करने का प्रयास कर रही थी।

जब देवी पार्वती कैलाश पर वापस लौटी तो उन्हे ये देखकर बहुत क्रोध आया और क्रोध के वशीभूत होकर उन्होने मथुरा को  अगले बारह वर्षों तक कुएं में मेंढक के रूप में रहने का श्राप दे दिया।

रावण के वध के बाद

जब भगवान शिव ने देवी पार्वती ने मथुरा के श्राप को कम करने लिए देवी पार्वती से अनुरोध किया तो उन्होने कहा कि 12 सालों तक तपस्या करने के बाद मथुरा अपने पुराने रूप में वापिस आ जाएगी। इस श्राप के बाद मथुरा मेंढक के रूप में परिवर्तित हो गई और 12 साल बाद अपने असल रूप में आने पर वो असुरों के देवता, मयासुर और उनकी अप्सरा पत्नी हेमा को मिली। दरअसल, असुरों के देवता, मयासुर और उनकी अप्सरा पत्नी हेमा के दो पुत्र थे और पुत्री की चाहत में वो कठोर तपस्या कर रहे थे। अपने असल रूप में आने के बाद, मथुरा मयासुर और हेमा को मिली और उन्होने मथुरा को गोद लेकर उसका नाम मंदोदरी रखा।

रावण के वध के बाद

मंदोदरी श्रेष्ठ विचारों, सभ्य आचरण से परिपूर्ण एक धार्मिक और समझदार महिला थी। कहा जाता है कि मंदोदरी पर मोहित होकर जब रावण ने उनके पिता से उनका हाथ मांगा तो मंदोदरी ने रावण की शिव भक्ति और उनके ब्राह्मण होने की वजह से विवाह के लिए हामी भर दी।

रावण के वध के बाद

मंदोदरी हमेशा रावण को अच्छे कामों के लिए प्रेरित कर उन्हे गलत मार्ग पर चलने से रोकती थी। सीता के हरण के बाद भी मंदोदरी ने रावण से सीता को सम्मान सहित राम के पास भेजने की बात कही थी लेकिन रावण ने उनकी बात नहीं मानी।

ऐसा कहा जाता है कि रावण की मृत्यु और लंका के दहन के बाद लंका के राजनीतिज्ञों ने मंदोदरी को विभीषण से विवाह कर लंका को दोबारा स्थापित करने की सलाह दी और मंदोदरी ने ऐसा ही किया लेकिन बाद में मंदोदरी इस सब से अलग हो गई।

रावण के वध के बाद ये थी मंदोदरी से जुड़ी कुछ खास बातें, हालांकि ये सभी बातें किवदन्तियों पर आधारित हैं।