वर्षा को ही नहीं रमेश को भी क्या पता था उसने 10 रुपये में खरीदी खुद की मौत
रमेश और उसके जैसे लगभग 100 लोग पिछले तीन दिनों में बेवक्त ही काल के गाल में समा चुके है.
इनकी मौत का सबब बनी जहरीली देसी शराब.
मरने वालों में अधिकांश गरीब और मजदूर वर्ग के लोग है.
पिछले कुछ दिनों से मालवानी और चारकोप में तस्करी से शराब आ रही थी. शराब की डिलीवरी लेने वाली अधिकांशत: महिलाये थी.
तस्करी के बाद ये शराब अवैध ठेकों और घरों में पंहुचा दी जाती थी. इस शराब की कीमत बोतल बंद पानी से भी कम थी.
लगभग 10 रुपये प्रति पाउच इसी वजह से ये शराब धड़ाधड बिकती थी. ये गोरखधंधा काफी दिनों से चल रहा था, इसका भांडा फूटा जब तीन दिन पहले लोगों के मरने की खबरें आई.