अमरनाथ गुफा हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थस्थल है।
यहां हर साल लाखों लोग बर्फ से बनने वाले शिवलिंग के दर्शन करने आते हैं। सिर्फ हिम शिवलिंग की वजह से ही इस जगह को नहीं पूजा जाता बल्कि कईं ऐसे कारण हैं जो अमरनाथ की गुफा के महत्व को बताते हैं।
अपने मन में भगवान शिव की भक्ति को लिए लाखों भक्तों का जत्था हर साल, अमरनाथ गुफा पहुंचता है। कहा जाता है कि भगवान के दर्शन के लिए भक्त भी तभी पहुंचते हैं जब उन्हे भगवान का बुलावा आता है या यूं कहे कि जब भगवान की इच्छा होती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव अमरनाथ गुफा में कैसे और क्यों पहुंचे थे?
दरअसल, माता पार्वती भगवान शिव से अमर होने का रहस्य जानना चाहती थी और अमरत्व के मंत्र को माता पार्वती के साथ साझा करने के लिए भगवान शिव एकांत जगह की तलाश में थे जहां कोई भी चराचर जीव उपस्थित ना हो ताकि इस बात की गोपनीयता बनी रहे और प्रकृति के कार्य में भी किसी प्रकार की रुकावट ना आएं। इसलिए उन्हें अमरनाथ की गुफा उचित स्थान लगी।
मान्यताओं के अनुसार, अमरनाथ की गुफा में आज भी भगवान शिव, देवी पार्वती के साथ विराजमान हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।
भगवान शिव को अमरनाथ आने के लिए अपनी कईं प्रिय वस्तुओं और स्नेही जनों का त्याग करना पड़ा था। ऐसा कहा जाता है कि जब महादेव देवी पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताने अमरनाथ ले जा रहे हैं तब रास्ते में सबसे पहले उन्होंने पहलगाम में अपने प्रिय नंदी (बैल) का परित्याग किया. इसके बाद चंदनबाड़ी में अपनी जटा से चंद्रमा को मुक्त किया और फिर शेषनाग नामक झील पर पहुंच कर उन्होंने गले से सर्पों को भी उतार दिया. प्रिय पुत्र श्री गणेश जी को भी उन्होंने महागुणस पर्वत पर छोड़ दिया। इसके बाद पंचतरणी नामक स्थान पर पहुंच कर भगवान शिव ने पांचों तत्वों का भी त्याग कर दिया।
ऐसा करके शिव ने मानव जाति को एक बहुत बड़ा संदेश दिया। अमरत्व के रहस्य को अपने मुख पर लाने से पहले जिस तरह शिव ने अपने प्रिय जन और वस्तुओं का त्याग किया उसके ज़रिए उन्होने ये बताया कि शिव को पाने के लिए सभी लोभ और द्वेष से दूर होना बहुत ज़रूरी है। मोह, माया और लोभ को छोड़कर ही कोई व्यक्ति शिव में लीन हो सकता है इसलिए अमरनाथ यात्रा पर आते समय भक्तजनों को अपने मन से सभी द्वेष, दुर्भाव, मोह दूर कर देने चाहिए।
शास्त्रों में बताया गया है कि जिस समय भगवान शिव, देवी पार्वती को अमरत्व का रहस्य बता रहे थे, उस समय इस रहस्य को शुक(तोता) और दो कबूतरों ने भी सुन लिया था।
ये शुक बाद में शुकदेव ऋषि के रूप में अमर हुए तो वही कबूतरों का ये जोड़ा आज भी श्रध्दालुओं में अमरनाथ की गुफा में दिखाई देता है। ऐसा कहा जाता है कि ये अमर पक्षी हैं।
ग्रन्थों में वर्णित है कि बाबा अमरनाथ का दर्शन शुभ फलदायी है और इससे व्यक्ति को बाकी किसी भी धर्मस्थल की तुलना में हज़ार गुना पुण्य की प्राप्ति होती है। किंवदंती के अनुसार, रक्षाबंधन की पूर्णिमा के दिन भगवान शंकर स्वयं श्री अमरनाथ गुफा में आते हैं। भगवान शिव, अपने दर्शन का सौभाग्य सभी भक्तों को दें, यही आशा है।