महाभारत का युध्द – युध्द होना किसी भी देश के लिए ठीक नहीं.
इस स्थिति में हज़ारों की जान जाती है और देश आर्थिक स्थिति से गुज़रता है. विश्व युध्द में इस बात का ज्ञान होने के बाद तब से कोई भी देश युध्द के लिए कभी नहीं सोचता. जिन देशों के बीच लड़ाई होती है, उनके रिश्ते ही सिर्फ खराब नहीं होते, बल्कि दोनों मुल्कों की आवाम को इसका भारी खामियाज़ा भुगतना पड़ता है.
अक्सर ऐसा होता है कि किसी भी लड़ाई में या तो सैनिक मारे जाते हैं या फिर वहां की आम जनता. बड़े और अमीर लोगों को खरोंच तक नहीं आते. इसका एक मात्र कारण है कि वो लोग अपने पैसे के बल पर अपने आलिशान घरों इमं बैठकर इस तरह के युध्द का आनंद उठाते हैं या फिर कुछ समय के लिए देश छोड़कर चले जाते हैं.
लड़ाई में अक्सर आम लोगों का खून बहता है, लेकिन एक युध्द ऐसा था, जिसमें ज्ञानी और महा प्रतापी लोगों का खून बहा. ये कोई और युध्द नहीं, बल्कि महाभारत था. कुरुक्षेत्र में हुए इस युध्द में एक से एक पराक्रमी का रक्त बहा. भीष्म जैसे महान व्यक्ति से लेकर गुरुओं तक का रक्त बहा.
महाभारत का युध्द एक ही खानदान के लोगों के बीच हुआ था. इसमें भाई भाई के दुश्मन हो गए थे. महाभारत के युध्द को विश्व युध्द के नाम से भी नज जाता है. इसमें लाखों लोगों की जान गई. इस युध्द के बाद धरती वीरों से खाली हो गई थी. गुरुकुल में पधान एके लिए गुरुओं की कमी हो गई थी. इस युध्द का परिणाम ये हुआ था कि एक युग जैसे ख़त्म सा लग रहा था.
कौरवों की तरफ से लड़ने वाले सभी सैनिकों, आम जनता, विद्वानों आदि की मौत हो गई थी. ऐसा लग रहा था कि मानों सृष्टि का अंत हो गया हो. कर्ण जैसा महारथी और विद्वान् भी इस युध्द की बलि चढ़ गया. द्रोणाचार्य, भीष्म, अभिमन्यु जैसे महान लोगों का रक्त बहा इस युध्द में.
ये है महाभारत का युध्द – इतिहासकार यही मानते हिं कि इतना बड़ा युध्द आजतक नहीं हुआ. आशा रहेगी कि कभी भविष्य में इस तरह का युध्द न हो.