विशेष

क्या आपको मालूम है कि महाभारत में चक्रव्यूह के अलावा 8 व्यूह और भी थे

जब कभी महाभारत में युद्ध का जिक्र होता है तो यह बात हम अक्सर सुनते हैं.

यदि अभिमन्यु चक्रव्यूह को तोड़ना जानता तो शायद उस दिन वह कौरवों के हाथों नहीं मारा जाता.

लेकिन चक्रव्यूह के अलावा महाभारत के युद्ध में कई और व्यूह भी थे जो दुश्मन को हराने के लिए बनाए जाते थे. महाभारत के युद्ध में पांडवों और कौरवों ने चक्रव्यूह के अलावा जिन व्यूहों की रचना की थी वे इस प्रकार है.

1 क्रौंच व्यूह

क्रौंच सारस की प्रजाति का एक पक्षी होता है. इस पक्षी के आकार पर ही क्रौंच व्यूह की रचना की जाती थी. वर्णित है कि महाभारत के युद्ध के दूसरे दिन युधिष्ठिर ने पांचाल पुत्र को इसी क्रौंच व्यूह से पांडव सेना सजाने का सुझाव दिया था.

2 वज्र व्यूह

महाभारत युद्ध में वज्र व्यूह की रचना अर्जुन ने की थी. अर्जुन ने अपनी सेना को इस आकार में सजाया था कि देखने में इसका आकार इन्द्रदेव के वज्र जैसा प्रतीत हो. इसके वज्र के आकार के कारण इस व्यूह को वज्र व्यूह कहते हैं.

3 गरुड़ व्यूह

बताया जाता है कि कौरवों ने इस व्यूह की रचना की थी. इस व्यहू में गरूड़ पक्षी के आकार में कौरवों ने अपनी सेना को सजाया था.

4 अर्धचन्द्र व्यूह

इसकी रचना अर्जुन ने कौरवों के गरुड़ व्यूह के जवाब में की थी. युधिष्ठिर और भीम के साथ पांडवों के पांचों पुत्रों के अलावा अभिमन्यु और घटोत्कच भी इस व्यूह के मुख्य द्वारों पर मोर्चा संभाले हुए थे.

5 मंडल व्यूह

भीष्म पितामह ने पांडवों की बढ़त को रोकने के लिए कौरव सेना को इसी मंडल व्यूह द्वारा सजाया था. बता दें कि बेहद कठिन व्यूहों में से एक था.

6 औरमी व्यूह

औरमी का तात्पय समुद्र से है. यह व्यूह देखने में समुद्र की लहरों के समान प्रतीत होता था. इस व्यूह में दुश्मन को सेना वास्तविक क्षमता को लेकर भ्रम बना रहता था.

7 चक्रव्यूह

महाभारत के इस सबसे चर्चित व्यूह की रचना गुरु द्रोणाचार्य ने युद्ध के तेरहवें दिन की थी. इसमें 7 द्वार थे. अभिमन्यु इस व्यूह के 6 द्वार तोड़ने में सफल हुआ था लेकिन अंतिम द्वार को नहीं तोड़ सका था.

8 चक्रशकट व्यूह

जब कौरवों ने मिलकर अभिमन्यु की हत्या कर दी थी तब अर्जुन से जयद्रथ के प्राण की रक्षा के लिए गुरु द्रोणाचार्य ने इस व्यूह की रचना की थी.

9 श्रीन्गातका व्यूह

पांडवों में अर्जुन इस व्यूह की रचना करने में माहिर था. ये व्यूह देखने में किसी भवन के समान प्रतीत होता था. दुश्मन सेना को भ्रम में डालकर फंसाने के लिए इसकी रचना की जाती थी.

बहराल, उस समय युद्ध में व्यूह रचना बहुत ही निर्णायक होती थी. इन व्यूहों पर युद्ध में सेना की हार जीत निर्भर करती थी. अर्जुन के बेटे अभिमन्यु की मौत चक्रव्यूह में फंसकर हुई थी और पांडवों में अर्जुन के अलावा चक्रव्यूह को बनाना और तोड़ना कोई नहीं जानता था. यदि जानते तो अभिमन्यु चक्रव्यूह में नहीं फंसता.

 

Vivek Tyagi

Share
Published by
Vivek Tyagi

Recent Posts

ढल गई जवानी जिस्म के सौदे में ! अब क्या होगा बूढ़ापे का !

वेश्याओं के रेड लाइट इलाके में हर रोज़ सजती है जिस्मफरोशी की मंडी. इस मंडी…

5 years ago

पेट्रीसिया नारायण ! 50 पैसे रोजाना से 2 लाख रुपये रोजाना का सफ़र!

संघर्ष करनेवालों की कभी हार नहीं होती है. जो अपने जीवन में संघर्षों से मुंह…

5 years ago

माता रानी के दर्शन का फल तभी मिलेगा, जब करेंगे भैरवनाथ के दर्शन !

वैष्णों देवी माता का मंदिर कटरा से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.…

5 years ago

एक गरीब ब्राह्मण भोजन चुराता हुआ पकड़ा गया और फिर वो कैसे बन गए धन के देवता कुबेर देव!

धन-दौलत की चाह रखनेवाले हमेशा धन की देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं. माता लक्ष्मी…

5 years ago

रमज़ान में खुले हैं जन्नत के दरवाज़े ! होगी हर दुआ कबूल !

साल के बारह महीनों में रमज़ान का महीना मुसलमानों के लिए बेहद खास होता है.…

5 years ago

चिता की राख से आरती करने पर खुश होते हैं उज्जैन के राजा ‘महाकाल’

उज्जैन के क्षिप्रा नदी के पूर्वी किनारे पर बसा है उज्जैन के राजा महाकालेश्वर का…

5 years ago