कोई कुछ भी कहे, कितनी भी आलोचना करे लेकिन मोदी सरकार रेलवे में सुधार को लेकर अपने कदम पीछे नहीं खीचना चाहती है.
बुलेट ट्रेन के बाद मोदी सरकार ने अब एक नई ट्रेन पर दांव लगाया है.
जी हां भारतीय रेल ने अब देश में मैग्लव टेक्नॉलजी से चलने वाली मैग्लव ट्रेनें चलाने के लिए विदेशी कंपनियों को आमंत्रित किया है.
आपको बता दें मैग्लव टेक्नॉलजी से अभी केवल जापान, चीन और जर्मनी में ही चलती हैं.
बताया जा रहा है कि मैग्लव टेक्नॉलजी से चलने वाली मैग्लव ट्रेनें हाल में प्रस्तावित मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन से भी तेज गति से चलती है. इस ट्रेन की स्पीड 500 किलोमीटर प्रति घंटे है.
रेल राज्य मंत्री ने हाल ही में इस संबध में मीडिया में जो जानकारी दी है उसके अनुसार इसके लिए विभाग को 6 माह के अंदर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करके मंत्रालय को देने कहा है.
साथ ही आपको बता दें कि मैग्लव ट्रेनों के लिए भारत में जिन रूटों का चुनाव किया गया है उनमें चेन्नई–बेंगलुरु, नागपुर–मुंबई, हैदराबाद-चेन्नई और नई दिल्ली-चण्डीगढ़ शामिल हैं.
यह प्रॉजेक्ट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर आधारित होगा.
गौरतलब है कि जापान की अत्याधुनिक मैग्लव ट्रेन का इसी वर्ष 21 अप्रैल को ट्रायल रन किया गया था जिसमें इस ट्रेन ने 603 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रायल रन कर विश्व रिकॉर्ड बनाया था. इसके पहले वर्ष 2003 में इस ट्रेन की अधिकतम स्पीड 590 किलोमीटर प्रति घंटे थी.
इसी प्रकार भारत के पड़ोसी मुल्क चीन में अभी तक दुनिया की सबसे तेज कमर्शल मैग्लव चलती है.
इसकी स्पीड 431 किलोमीटर प्रति घंटे है. यही वजह है कि भारत ने भी अब तेज गति से दौड़ने का निश्चय किया है.
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक ये मैग्लव ट्रेनें मैग्नेटिक लेविटेशन (मैग्लव) तकनीक पर चलाई जाएगी. इस तकनीक में बहुत तेज रफ्तार पर ट्रेनें चलाई जा सकती हैं.
मैग्लव टे्रन की 500 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चलने के पीछे कारण है कि इसे इलेक्ट्रिकली चार्ज्ड मैग्नेट के सहारे चलाया जाता है.साथ ही इसकी खासियत है कि इस ट्रेन में पहिये नहीं हैं.पहिये नहीं होने की वजह से घर्षण कम होता है और ट्रेन तेज भागती है.यह ट्रैक से 10 सेंटीमीटर ऊपर चलती है.
समय की बचत को देखते हुए रेल मंत्रालय की कोशिश है कि इस कार्य को तेजी के साथ पूरा किया जाए.सरकार ने मैग्लव प्रोजेक्ट को अभी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर प्रस्तावित किया है.इसके तहत सरकार जमीन उपलब्ध कराएगी और प्राइवेट कंपनियों को प्रोजेक्ट को जमीन पर उतारते हुए मैग्लव ट्रेनें चलानी होंगी
यही वजह है कि सिविल एविएशन सेक्टर की तर्ज पर रेल विभाग भी अब प्राइवेट कंपनियों के साथ काम करने को तैयार है ताकि प्राइवेट एयरलाइंस की तरह भारत में भी प्राइवेट रेल चलाई जा सके.
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