मधु कोडा – यह बात उस समय की है जब झारखंड राज्य को बने केवल 4 वर्ष ही हुए थे और अपने इन्हीं सालो में इस राज्य के 6 मुख्यमंत्री बदले जा चुके थे.
बाबू लाल मरांडी के बाद अर्जुन मुंडा शिबू सोरेन और फिर एक बार अर्जुन मुंडा यहां के मुख्यमंत्री बन चुके थे. इसके बाद अर्जुन मुंडा के बाद बारी आई यहां के पांचवे मुख्यमंत्री की जिस व्यक्ति की हम आज बात करने जा रहे हैं.
उनके नाम अपने अनोखे कारनामों के लिए लिम्का वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज हुआ था.
तो आइए जानते हैं झारखंड के रहने वाले इस रिकॉर्डतोड़ मुख्यमंत्री के बारे में.
इस कहानी की शुरुआत 2006 14 सितंबर से हुई थी जब एक व्यक्ति विधान सभा के दौरान अपना भाषण देते समय रो पड़ा था. उस व्यक्ति का कहना था कि उसे विधायक जान से मारने की धमकी दे रहे हैं और यह बात सुनते ही विधान सभा में बवाल खड़ा हो गया था.
यह शख्स झारखंड सरकार के मंत्रियों में से ही एक था और इसने अपने तीन और मंत्रियों के साथ सरकार से हाथ खींच लिया जिसके कारण सरकार गिर गई. अब इस राज्य को एक बार फिर अपना मुख्यमंत्री चुनना था. सभी पार्टियों और लालू यादव सहित कांग्रेस के समर्थन के साथ उस शख्स को झारखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया जिसने ये सब शुरू किया था.
इस शख्स का नाम था मधु कोडा जिसने मजदूरी करने से लेकर मजदूर संघों की सियासत की और बीजेपी में शामिल हुआ, मंत्री बना, बीजेपी छोडी, मुख्यमंत्री बना और अब कोयला घोटाले में दोषी करार दिया गया.
दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट स्थित सीबीआई की विशेष अदालत के जस्टिस भरत पराशर ने मधु कोडा को इस घोटाले के लिए तीन साल की सजा दी और साथ ही 25 लाख रुपए जुर्माना भी लगाया.
मधु कोडा की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है. 6 जनवरी 1971 में जन्मे मधु एक मजदूर के बेटे थे. उनके पिता चाहते थे कि वह पुलिस की नौकरी करें लेकिन सियासत के चलते उनका बेटा मजदूरों की सहायता करने लगा जिसके बाद वो उनका नेता बन गया. इसके बाद मधू कोडा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े और कार्यकर्ता बन गए.
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी से मुलाकात के बाद मधु कोडा राजनीति में उतरे थे. बाबू लाल के जरिए कोडा को बीजेपी से टिकट मिला जिसके बाद वह चुनाव में जीत गए लेकिन बिहार से झारखंड अलग होने के बाद बीजेपी की बहुमत झारखंड में आई और बाबू लाल ने मधू कोडा को पांचवा मंत्री बनाया. इसके अलावा मधू के तीन और साथियों को सरकार में मंत्री पद मिला था.
2005 में झारखंड में फिर से चुनाव हुए मधु कोडा को इस बार उम्मीद थी कि उन्हें बीजेपी की तरफ से टिकट मिलेगा लेकिन ऐसा ना होने पर उन्होंने इस्तीफा दे दिया और जगन्नाथपुर से निर्दलीय ही पर्चा भर दिया, रिजल्ट आया तो मधु कोडा 10 हजार वोट से चुनाव जीत गए थे. एक बार फिर उन्होंने अपनी इस जीत के ज़रिए रिकॉर्ड कायम किया लेकिन इस मजदूर बने मुख्यमंत्री का अंत बेहद निराशाजनक रहा. आज को मधु कोडा दिल्ली में जेल की हवा खा रहे हैं.
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