कचड़े से गुड़ियाँ – बचपन में गुड़ियों से खेलने का शौक तो हर किसी को होता है लेकिन बड़े होने के बाद शायद ही कोई उन गुड़ियों के बारे में सोचता होगा।
मेरी दीदी की भी एक गुड़िया थी। जिसको हमलोगों को कभी छूने नहीं देती थी और जिसके कारण हम दोनों में काफी झगड़े भी होते थे। लेकिन फिर हम बड़े हो गए और वह गुड़िया एक कोने में ही पड़ी रहने लग गई। हमें गुड़िया की याद तब आई जब कोई हमारे घर से उसे चोरी कर के ले गया और मेरी दादी को वह जगह खाली लगी।
फिर भी हमारा रिएक्शन बिल्कुल नॉर्मल वाला था। हम लोगों ने बोला ठीक ही है। वैसे भी कोने में पड़ी रहती थी।
कचड़े से गुड़ियाँ –
सीरियसली… कोने में पड़े रहती थी।
बस उस गुड़िये की अहमियत इतनी ही थी। जिस के बिना बचपन अधूरा लगता था वह एक दिन कोने में पड़े रहने वाली चीज बन जाती है औऱ जब गायब होती है तो किसी को फर्क भी नहीं पड़ता। ऐसी होती है बचपने की गुड़ियों की दास्तां।
लेकिन इस दास्तां को बदलने की कोशिश कर रही है कोच्ची के Palluruthy की रहने वाली Vijitha Retheesh.
कचड़े से गुड़ियाँ – कूड़े में फेंक देते हैं
हमने तो उस गुड़िया को सजाकर रख दिया था। लेकिन कुछ लोग बचपने की चीजों को कूड़े में फेंक देते हैं। वैसे भी घर में बेकार पड़ी चीज़ों का लोग करते है क्या है…? उसे कूड़े में फेंक देते हैं? अब जो चीज़ कचरे में चली गईं आखिर उस का किया भी क्या जा सकता है।
लेकिन ऐसा हर कोई नहीं सोचता।
Vijitha ऐसा नहीं करती
कोच्ची के Palluruthy की रहने वाली Vijitha Retheesh ऐसा नहीं करती और पुरानी चीजों से नई चीजें बनाती है। जिस गुड़िया को पुरानी होने के कारण लोग फेंग देते हैं Vijitha उस गुड़िया को कचड़ों के द्वारा बनाती है। तो अगर आगे से आप कोई गुड़िया खरीदे तो ध्यान से देखिएगा कि कहीं यह वहीं गुड़िया तो नहीं जिसे Vijitha ने कचड़े से बनाया है।
कचड़े से बनाई 1,350 Dolls
Vijitha ने न सिर्फ़ कूड़े में फ़ेकें जाने वाली चीज़ों से महीने भर में 1,350 Dolls बनाईं, बल्कि ऐसा करके पिछले साल अपना नाम Guinness Book of World Records में भी दर्ज कराया।
इसी बारे में बात करते हुए Vijitha Retheesh ने कहा, ‘मैंने टाइम पास करने के लिए पेपर Dolls बनानी शुरू की थी, लेकिन बाद में मुझे इसमें काफ़ी दिलचस्पी आने लगी। इसके बाद मैंने रोज़ाना एक-दो गुड़िया बनाना शुरू किया, फिर इसके बाद बढ़ाकर इनकी संख्या 10-15 कर दी।’
आगे वो कहती हैं कि इस काम के लिए मेरे पति और मेरा परिवार मुझे लगातार प्रोत्साहित करता रहा। इसके साथ ही मुझे मेरे लक्ष्य को हासिल करने में मदद भी की। उनका मानना है कि अपशिष्ट पदार्थ भी काफ़ी मूल्यवान होते हैं. शायद मेरा ये कदम दूसरों को कुछ सीखने के लिए प्रेरित करे।
Psychology की पढ़ाई करने के साथ-साथ Vijitha ‘How To Use Recycled Material’ पर एक किताब भी लिख रही हैं. वाकई बेकार सामान बेकार नहीं होता, बस उसे इस्तेमाल करने तरीका आना चाहिए।
कचड़े से गुड़ियाँ – तो ऐसे होते हैं कुछ लोग जो कचड़े से उपयोगी वस्तु बना डालते हैं और कुछ हमारी तरह होते हैं जो उपयोगी वस्तुओं को भी कचड़ा बना देते हैं।
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