हिन्दू धर्म में सुहागन स्त्री को अर्धांगिनी, सती और पतिव्रता के नाम से सम्मान दिया जाता है.
इन सबका अर्थ और भाव एक ही है, जो अपने पति पर पूर्ण रूप से समर्पित होती है और अपने पति को हर परेशानियों से बहार निकाल कर उनकी हर तरह से रक्षा करती है.
अपने पति प्रेम को और सुहागन भाव को दिखने के लिए भारतीय महिलायें अपने श्रृंगार में सिंदूर का उपयोग करती है, लेकिन कुछ और भी पुराने रुढ़िवादी कारणों से हिन्दू औरते अपने मांग में सिंदूर भरती है.
आइये जानते हैं मांग में सिंदूर भरने के अन्य कारण क्या है.
हिन्दू धर्म के अनुसार स्त्रियों के मांग में सिंदूर लगाने से स्त्री का सुहाग हमेशा बना रहता है. उसके जीवन साथी का साथ हमेशा बना रहता है. स्त्रियों की मांग में सिंदूर की लम्बाई से पति को लम्बी उम्र मिलती है. स्त्री और पुरुष का साथ कई-कई जन्मो तक बना रहता है. स्त्री की मांग का सिंदूर उसके पति को अकाल मृत्यु से बचाता है. स्त्री की मांग का सिंदूर समाज में पुरुष को मान सम्मान दिलाता है.
स्त्री के मांग में सिंदूर होना हिन्दू सम्माज में पति प्रेम का प्रतीक समझा जाता है.
रामायण में एक प्रसंग आता है, जिसमे माता सीता एक दिन मांग में सिंदूर भर रही थी. उनको मांग में सिंदूर भरते देख हनुमानजी में माता सीता से मांग में सिंदूर भरने का कारण पूछा, तब माता सीता ने कहा इससे उनके स्वामी प्रेम और स्वामी की लम्बी आयु रहती है. पति के पर्ण की रक्षा भी होती है. माता सीता की यह बात सुनकर हनुमानजी वहां रखे केसरिया सिंदूर को अपने पुरे शरीर में लगा लिया और तब से हनुमान जी पर भगवान राम के नाम का सिंदूर चढाया और बंदन किया जाता है
रामायण के एक और प्रसंग में भगवान राम जब सुग्रीव को न्याय दिलाने के लिए बालि का वध करने पहुंचे तो पहली बार में बालि को नहीं मारा और ना मारने के पीछे उनका तर्क था कि दोनों की शक्ल सामान होने से पहचान में नहीं आये लेकिन उस बात सच कुछ और था.
वास्तव में तब बालि की धर्मपत्नी तारा की माँग में सिन्दूर भरा था और तारा एक सती नारी थी, जो अपने पति के अलावा किसी अन्य पुरुष के लिए वासना भाव नहीं आने देती थी. इसलिए भगवान राम में स्त्री और उसके सिंदूर सम्मान को ध्यान में रखते हुए बालि का वध नहीं किया था. जबकि दूसरी बार जब वाद करने पहुंचे तब तारा स्नान कर रही थी, जिसके कारण उसकी मांग में सिंदूर नहीं था इसलिए बालि का वध कर सके.
हिन्दू धर्म में सिंदूर पवित्र और शक्तिशाली वस्तु मानी जाती है इसलिए हिन्दू धर्म की हर औरत शादी के बाद अपने मांग में सिंदूर लगाती है और देवी पूजा में भी हर देवी पर सिंदूर चढ़ाया जाता है.
प्राचीन समय से माने जानेवाली यह हिन्दू धारणा कितनी सच है यह कह पाना मुश्किल है, लेकिन स्त्रियों के विवाह से लेकर पति के जीवित रहने तक मांग में सिंदूर भरा जाता है और इसलिए सिंदूर को सुहागन का श्रृंगार कहकर पति के लम्बी आयु के लिए मांग में सिंदूर भरा जाता है.
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