माँ अपने बच्चों के जीवन में हमेशा ही उजाला लेकर आती है.
बच्चा दुखी है और समस्या माँ को बताता है तो हमारी माँ उस समस्या को खत्म करने के लिए प्रयास भी करती है.
तो इसी तरह से माँ कालरात्रि बच्चों की सच्ची पुकार को जरूर सुनती हैं. माता अपने बच्चों के दुःख खत्म करने का प्रयास नहीं करती हैं बल्कि दुःख खत्म कर देती हैं.
माता का सातंवा रूप कालरात्रि का है. वैसे अधिकतर भक्त माता का रूप देखकर ही डर जाते हैं किन्तु कालरात्रि माँ विधुत जैसी ऊर्जा वाली है. भक्तों के सभी दुःख वह विधुत जैसी तेजी से ही खत्म भी कर देती हैं.
तो आइये नवरात्रे के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा विधि को जानते हैं-
माँ कालरात्रि की पूजा भक्त को मालामाल बना देती है –
माँ कालरात्रि की पूजा को काफी फलदायी बताया गया है. तंत्र-साधना में भी माता का विशेष स्थान है. जो साधक माता से तंत्र सीखना चाहते हैं वह रात्रि के समय ही माता की पूजा करते हैं. आप भी रात्री के मध्य समय में साफ़ जमीन पर बैठ जाये और सामने नौ घी के दीये जला लें. यह दीये जब तक पूजा होती रहे, तब तक जलते रहने चाहिए. इसके बाद भक्त को कुछ नहीं करना है बस माँ कालरात्रि की तस्वीर को सामने रखकर उनपर कुछ देर ध्यान रखना है और इसके बाद माता के मन्त्र को कम से कम 1000 बार जपकर सिद्ध करना होता है.
यह मन्त्र काफी आसान है किन्तु यदि यह सिद्ध हो जाता है तो यह मन्त्र की आपको दुनिया के सब सुख दे सकता है. आज हम मन्त्रों की सिद्ध करना भूल गये हैं और मूर्ति पूजा में ज्यादा लगे रहते हैं. किन्तु ध्यान रखें कि कलयुग में मन्त्रों की अधिक अहमियत है.
तो इस प्रकार से माता के सातवें दिन रात्रि समय में माता की पूजा से भक्तों के भाग्य खुल सकते हैं.
आइये अब मन्त्र जानते हैं-
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
यह मन्त्र आपको सामान्य लगता होगा किन्तु यदि इस मन्त्र को सिद्ध करा लिया जाये तो यह मन्त्र साधक को उम्मीद से अधिक सुख दे देता है. आप इस मन्त्र को ख़ास रात्रि समय में जरुर सिद्ध करें और माता को प्रसन्न करने की कोशिश करें.
संध्या पूजन ऐसे करें
दिन में आजकल इतनी भागदौड़ होती है कि साधक सही से पूजा भी नहीं कर पाते हैं. तो आप आराम से संध्या समय में नहाकर माता की पूजा करें. सबसे पहले आप आसन पर बैठ जाये और माता की चौकी को गंगाजल से साफ़ करें. इसके बाद आप माता कालरात्रि का स्वरुप लें और चौकी पर रखें. माता के सामने घी का दीया जलाएं. अग्नि में आहुति दें और पहले गणेश भगवान की आरती करें फिर माता कालरात्रि की आरती करें. माता के स्वरुप को मन में लायें. माता को मन्त्र उच्चारण काफी पसंद हैं इसलिए मन्त्र ध्यान करें.
इस तरह से सामान्य और आसान सी माँ कालरात्रि की पूजा से माता को यदि कोई भक्त प्रसन्न कर लेता है तो माता भक्त का सहस्रार चक्र खोल देती हैं.
तो आज संध्या को माँ कालरात्रि की पूजा हर हालत में जरुर करें.
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