खुद से प्यार करना – ‘जो खुद से प्यार नहीं करता, वो किसी और से भी प्यार नहीं कर सकता।’
आपने भी कही न कही ये लाइन सुनी होगी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि खुद से प्यार करना इतना जरूरी क्यों है? ‘पहले खुद से प्यार करों’ सिर्फ कहने की बात नहीं है। बल्कि यह खुशहाल जिंदगी जीने का एक खूबसूरत रास्ता है।
कई लोग होते हैं जो खुद को बिल्कुल बेकार समझते हैं। उन्हें यही लगता है कि उनसे कुछ नहीं हो पाएगा। कुछ गलत हो जाए तो वो खुद को जिम्मेदार ठहराते हैं।
उनके मन में खुद के लिए इतनी नकारात्मकता इसलिए है, क्योंकि वो खुद से प्यार नहीं करते हैं।
वही कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो दुनिया में सबसे ज्यादा महत्व खुद को ही देते हैं। उन्हें अपने आगे कोई नजर नहीं आता है। उन्हें सिर्फ अपनी खुश से मतलब है। ये वो लोग होते हैं, जो खुद से कुछ ज्यादा ही प्यार करते हैं। अपने आप से इतना ज्यादा प्यार भी हानिकारक है।
लेकिन कुछ हद तक अपने लिए अच्छी भावनाएं रखना बहुत जरूरी होता है। कई शोधों में भी साबित हो चुका है कि अपने आप से थोड़ा प्यार कर लेने से कई फायदे होते हैं।
चलिए आज करते हैं इन्हीं फायदों पर बात –
खुद से प्यार करना –
यदि कार्यक्षेत्र या शिक्षा के क्षेत्र में प्रदर्शन की बात करें तो अपनी काबिलियत पर विश्वास रखना आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है। जब आप सोचते हैं कि यह काम मेरे लिए कठिन है या मुझमें इसे करने की खूबियां नहीं है तो आप फेल हो जाते हैं। लेकिन जब आप खुद से प्यार करते हैं तो आप अपने बारे में सकारात्मक विचार रखते हैं। इस स्थिति में हर चुनौती आपको आत्मविश्वास से भर देती है और आप उसे पार पा जाते हैं।
जब आप खुद से सहानुभूति रखते हैं तो आप किसी हार के लिए खुद को नहीं कोसते हैं। आप समझने लगते हैं कि हारना या गिरना सफर का हिस्सा होता है। आप इस हार से सीख लेकर आगे बढ़ते हैं। ऐसा करने से एक असफलता के बाद आप में सुधार होता है और अगली बार आप दोगुनी सफलता हासिल करपाते हैं। एक तरीके से आपकी एनर्जी खुद की आलोचना करने के बजाए खुद में सुधार लाने में खर्च होती है।
खुद से प्यार करने का मतलब खुद को ‘परफेक्ट’ समझना बिल्कुल भी नहीं है। बल्कि यह अपनी कमियों को स्वीकार करके खुद के लिए सकारात्मक विचार रखना है। इस स्थिति में आप अपनी शारीरिक कमियों को लेकर रोने ना खुद से नफरत करने के बजाए उनमें खूबसूरती ढूंढते लगते हैं। साथ ही अपने व्यक्तित्व की कमजोरियों पर आप शांत चित्त से काम करते हैं।
अगर आप अपनी मौजूदा स्थिति पर गौर करेंगे तो पांएगे कि आप किसी गलत परिस्थिति की वजह से नहीं बल्कि उस परिस्थिति को गलत तरीके से डील करने की वजह से ज्यादा परेशान है। सकारत्मकता हमेशा तनाव को कम करने में सहायक होती है। अगर वैज्ञानिक भाषा में बात करें तो जब आप खुद की आलोचना करते हैं तो आपके शरीर से तनाव को बढ़ाने वाले हार्मोन्स निकलते हैं। जबकि सकारात्मक विचार रखने से खुशी उत्पन्न करने वाले हार्मोन्स निकलते हैं।
जब तक आप खुद खुश नहीं होंगे, आप सामने वाले को कैसे खुश रख पाएंगे? खुद से प्यार और सहानुभूति रखने से आपका मन शांत रहता है और आप दिल से खुश होते हैं। आपके अंदर इतना प्यार होता कि आप इसे दिल खोलकर सामने वाले पर लुटाते हैं। इतना ही नहीं आप अपने रिश्ते पर ज्यादा विश्वास करने लगते हैं और इसे बचाने के लिए किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं। यह विश्वास ही आपके रिश्ते को मजबूत बनाता है।
तनाव एक ऐसा कारक है, जो अवसाद, दिल की बीमारियों सहित अन्य स्वास्थ्य संबंधी विकारों को जन्म देता है। जब आप खुद से प्यार करना सीखते हैं तो आप तनाव के साथ ही इन बीमारियों से भी दूर रहते हैं। इस तरह बेहतर स्वास्थ्य के साथ आप अपने काम पर ज्यादा ध्यान दे पाते हैं और जल्दी सफल होते हैं।
जिसके मन में खुद के लिए प्यार और सम्मान होता है, उसे दूसरों से भी प्यार और सम्मान मिलता है। जब आप दूसरों को अपनी कमियां दिखाते हैं तो वो आपको कमजोर समझते हैं।जबकि जब आप उन्हें अपनी खूबियां दिखाते हैं तो वो आपकी ओर आकर्षित होते हैं।
खुद से प्यार करना ज़रूरी – अब तो आप भी मान गए होंगे कि खुद से प्यार करना वाकई बेहद फायदेमंद है। हां मगर जरूरत से ज्यादा प्यार जहर बन जाएगा। इसलिए अपने साथ ही दूसरों से भी प्यार करें।
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया में सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में से एक है,…
दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते…
सूर्य ग्रहण 2020- सूर्य ग्रहण कब है, सूर्य ग्रहण कब लगेगा, आज सूर्य ग्रहण कितने…
कोरोना महामारी के कारण देश के देश बर्बाद हो रही हैं, इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हुई…
दुनियाभर के 200 देश आज कोरोना संकट से जूंझ रहे हैं, इस बिमारी का असर…
वैसे तो गांधी परिवार पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और उस परिवार के हर सदस्य…