प्रेम पुजारी श्री कृष्ण !
भगवान श्री कृष्ण को अगर ‘किंग ऑफ़ रोमांस’ अर्थात प्रेम का राजा कहा जाए तो गलत नहीं होगा.
वैसे प्रेम पुजारी श्री कृष्ण की रासलीला और उनके प्रेम संबंधों के बारें में काफी विवाद है. कुछ लोग बोलते हैं कि कृष्ण एक रंगीन मिजाज के व्यक्ति थे तो वहीं कुछ कृष्ण की रासलीला को भी भगवान की लीला मानते हैं.
तो आज यंगिस्थान प्रेम पुजारी श्री कृष्ण की रासलीला और गोपियों के सारे राज आपके सामने खोलकर रख देगा और अंत में हम बतायेंगे कि आखिर कृष्ण ने ऐसा क्यों किया था-
1. सबसे पहले तो बोला जाता है कि कृष्ण की 16108 पत्नियां हैं और इसमें से आठ तो पटरानियाँ बताई गयी हैं. इसका मतलब यह हुआ कि आठ स्त्रियाँ तो धर्म के अनुसार पत्नियाँ हैं और बाकी तो प्रेमिकायें हैं जो रानियाँ नहीं बन पाई हैं. इस बात पर भारी विवाद रहता है.
2. तो राधा को कृष्ण की पहली प्रेमिका के रूप में समाने रखा जाता है. वैसे कृष्ण कभी राधा से अलग हुए ही नहीं है. कृष्ण के प्रेम का यह अध्याय तो सभी जानते हैं. राधा से कृष्ण सच्चा प्यार करते थे किन्तु विवाह कृष्ण का राधा से नहीं हो पाता है.
3. असल में कृष्ण की रासलीला की शुरुआत होली पर होती है. वृन्दावन के लोग तब काफी खुले विचारों थे और यहाँ लड़कियों पर भी पाबंदी नहीं थी. तब राधा की उम्र कुछ 12 साल रही होगी और कृष्ण की उम्र 7 साल और पहली बार यह लोग नदी किनारे होली खेलने के लिए मिले थे. तब ऐसा लिखा हुआ है कि सभी लड़के और लड़कियां एक ही साथ नदी में नहाए और काफी देर तक नृत्य करते रहे थे.
4. किन्तु आज तक कोई भी इस घटना का रहस्य नहीं जान पाया है. कृष्ण भगवान ने यहाँ एक अनोखी माया रची थी. सभी लड़के और लड़कियां मौज में थे किन्तु किसी ने भी किसी के साथ गलत नहीं किया और मर्यादा को नहीं तोड़ा. इस घटना से कृष्ण ने कामदेव को एक चुनौती दी थी और कामदेव को हराया था. कामदेव को लगता था कि वह कृष्ण को बदनाम कर देगा किन्तु इस घटना से कामदेव का घमंड ही टूटा था.
5. इसके बाद एक बार कृष्ण ने हजारों गोपियों के साथ महारास भी मनाया है और यही बात सबसे अधिक विवादों से भरी है. कृष्ण वृन्दावन के जंगलों में हजारों गोपियों से साथ अकेले थे और सभी गोपियाँ कृष्ण को पाना चाहती थी.
6. कहानी कुछ तब की है जब कामदेव ने भगवान की भी तपस्या भंग कर दी थी और कामदेव को घमंड होने लगा था. तब कृष्ण गोपियों के साथ नृत्य और रास करते थे और कामदेव कृष्ण को बदनाम करना चाहता था. तब कृष्ण से कामदेव ने बोला कि मैं आपका ब्रह्मचर्य भी भंग कर दूंगा. इस बात को सिद्ध करने के लिए शरद पूर्णिमा का दिन तय किया गया और कृष्ण वृन्दावन के जंगलों में पहुंचकर बासुरी बजाने लगते हैं. बासुरी की आवाज सुनकर गोपियाँ जंगल में आ जाती हैं और कृष्ण से प्यार करने के लिए उतावली हो जाती हैं. तब कृष्ण इस महारस में ध्यान और भक्ति की ऐसी लीला रचते हैं कि गोपियों को भगवान के दर्शन होने लगते हैं. इस घटना को महारास बताया गया है और कामदेव की यहाँ हार हुई थी.
7. असल में राधा से कृष्ण प्रेम करते थे किन्तु जब वृन्दावन को छोड़कर कृष्ण मथुरा आ गये तो यहाँ यही तय हुआ था कि अगर राधा-कृष्ण मिलते हैं तो गाँव वाले तरह-तरह की बातें बनायेंगे और तब आने वाले समय में भक्त इसी प्रेम की खातिर लड़ा करेंगे और सोच विचार कर यह प्रेम आधा रखा गया था. ताकि राधा-कृष्ण की पवित्रता कभी भंग ना हो.
8. कृष्ण की आठ पटरानियाँ जो हैं वह उनके आठ चक्र विद्या है जो कृष्ण जानते थे. आज तक यह बात तो सभी बोलते हैं कि कृष्ण की 16 हजार पत्नियाँ रही हैं किन्तु अज्ञानी लोग यह नहीं बताते हैं कि यह 16108 पत्नियाँ को वेदों की ऋचाएं बताया गया है. चारों वेदों में कुल एक लाख श्लोक हैं, जिनमें से 80 हजार श्लोक यज्ञ के हैं, चार हजार श्लोक पराशक्तियों के हैं और शेष 16 हजार श्लोक ही गृहस्थों या आम लोगों के उपयोग के अर्थात भक्ति के हैं. जनसामान्य के लिए उपयोगी इन ऋचाओं को ही भगवान श्रीकृष्ण की रानियां कहा गया है.
9. तो अब आपकी समझ में आ रहा होगा कि कृष्ण बेशक किंग आफ रोमांस रहे हैं किन्तु कृष्ण का प्रेम तो भक्तों के प्रति प्रेम रहा है. गापियों से साथ प्रेम है तो वह भी पवित्र है और राधा के प्रति प्रेम है तो वह भी पवित्र ही है. साथ ही साथ 16 हजार से अधिक पत्नियाँ तो शास्त्र की रचनाएँ हैं. इस सत्य से लोग जागरूक नहीं हैं इसलिए कृष्ण का आकलन सही नहीं होता है.
10. रास में कृष्ण ने कामक्रीड़ा का दर्शन कहीं नहीं दिया है. रास लीला में एक कृष्ण हजार गोपियों के साथ है वहीं महारास में एक गोपी के साथ एक कृष्ण है जो कामक्रीड़ा नहीं है. बल्कि कृष्ण ने अपनी शक्ति का परिचय यहाँ दिया है.
प्रेम पुजारी श्री कृष्ण के जीवन का उद्देश्य एक ही रहा है. जो वह गीता में बताते हैं कि जब-जब धर्म की हानि होती है, अधर्म का उत्थान होता है, तब-तब मैं खुद धरती पर अवतार लेता हूँ. इसलिए प्रेम पुजारी श्री कृष्ण के जीवन का उद्देश्य मात्र धर्म की स्थापना करना है. यह रास-महारास भी कृष्ण की लीला है जो उन्होंने सच्चे प्रेम की परिभाषा लिखने के लिए रची थी और कहीं भी कृष्ण किसी गोपी के शरीर से मिलते हुए नहीं दिखे हैं.
आज कल कृष्ण की रासलीला रचा तो सभी रहे हैं किन्तु कृष्ण जैसा उद्देश्य कोई नहीं प्राप्त कर पाया है.
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