हम सभी देवों के देव महादेव की पूजा-अर्चना करते हैं और इनसे अपने दुःख निवारण की कामना करते हैं.
वैसे भगवान शिव अपनी महिमा से अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा भी करते हैं. किन्तु क्या आपको पता है कि आप जिसकी पूजा करते हैं, वह शिव भी किसी की पूजा करता है.
निश्चित रूप से यह बात आपने आज से पहली बार कभी नहीं सुनी होगी. क्योकि इस रहस्य को वह लोग भी कभी जग जाहिर नहीं करते हैं, जिनकी पूजा शिव करते हैं. वैसे यह लोग भी शिव की पूजा करते हैं.
तो आज पहलीबार यंगिस्थान आप सभी को बताएगा कि शिव किसकी पूजा करते हैं –
शिवपुराण में आती है एक कथा –
शिवपुराण अगर आप पढ़ते हैं तो उसके अन्दर एक कथा लिखी हुई है कि एक बार भगवान शिव सती जी के पिता दक्ष के यहाँ एक यज्ञ में शामिल हुए. किन्तु यहाँ पर शिव ने अपने ससुर दक्ष को प्रणाम नहीं किया. इस बात से वह खफा हो जाते हैं और यज्ञ के अंत में शिव से बोलते हैं कि चलिए आप भगवान है किन्तु एक दामाद के रिश्ते से तो आप मुझसे छोटे ही हैं. आपको मुझे प्रणाम करना चाहिए था.
इस बात से खफा होकर दक्ष शिव को श्राप देते हैं कि आपको कभी कोई किसी यज्ञ में शामिल नहीं करेगा. और शिव भगवान बड़े प्यार से इस श्राप को अपने ऊपर ले लेते हैं.
किन्तु तभी नंदी को आता है गुस्सा –
किन्तु इस बात से नाराज अब नंदी को क्रोध आता है और वह दक्ष को श्राप देते हैं कि आप बकरे जैसा शरीर धारण करो और सारी ही उम्र कामी-अभिमानी बने रहो. साथ ही साथ यज्ञ में शामिल ब्राह्मणों को भी श्राप दे दिया.
तब ऋषि भृगु ने श्राप दिया –
अब यह श्राप देने का कार्यक्रम आगे बढ़ता ही जा रहा था तो ऋषि भृगु ने भी शिव को श्राप दिया कि तुम्हारे भक्त धर्म-कर्म और शास्त्रों से अलग आचरण किया करेंगे. वह जटा धारण करेंगे और भस्म से अपना श्रृंगार करेंगे.
शिव ने यह श्राप स्वीकार किये –
तो शिव ने अपने दोनों श्रापों को स्वीकार किया. किन्तु दूसरा श्राप वाकई में काफी कठिन था. क्योकि क्या भक्त इतनी कठिन तपस्या को सहन कर सकते थे? सभी लोग धर्मों के अनुसार आचरण करना चाहते हैं किन्तु यहाँ तो धर्मों के विपरीत चलना होगा. रहने के लिए जो जगह है वह अब शमशान घाट होगा और जटा धारण करनी होगी. राख को अपने शरीर पर मलना होगा. तब भगवान शिव ने अपने भक्तों का नाम अघोरी रखा और इनको वरदान दिया कि अघोरी लोग तब तक धरती पर रहेंगे जब तक यहाँ प्रलय नहीं आ जाती है. यह अघोरी लोग शक्तिशाली और गुस्सेल होंगे. साथ ही साथ अघोरी की तपस्या भी देवताओं के बराबर मानी जाएगी.
शिव करते हैं अघोरी की पूजा –
इस बात को कोई भी अघोरी आसानी से जग-जाहिर नहीं करता है किन्तु जिस कठिन जीवन का यापन अधोरी करते हैं उसके बाद शिव भगवान भी इन लोगों की पूजा करते हैं. वैसे एक तरह से देखा जाये तो दोनों ही लोग एक दूसरे को पूजते हैं. किन्तु शिव इनकी पूजा इसलिए करते हैं ताकि यह लोग कभी बिगड़ ना जाये और क्रोधित ना हो जाये.
अघोरी का गुस्सा बहुत ही खतरनाक बताया गया है और यदि कोई सिद्ध अघोरी है तो वह तो काफी अधिक शक्तिशाली माना जाता है.
इसलिए भगवान शिव अघोरियों की पूजा करके इनको अपने वश में रखते हैं.
तो इस तरह यह रहस्य आज आपको मालूम हो गया है कि शिव अघोरियों की पूजा करते हैं. वैसे कई जगह लिखा गया है कि अघोरी शिव का ही रूप हैं और दोनों में कोई अंतर नहीं है. अघोरियों की तपस्या तो देवताओं से भी ऊपर बताई गयी है.
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