देवताओं के सेनापति कामदेव को काम वासना और प्रेम का देवता कहा जाता है.
संपूर्ण जगत के लोगों में काम इच्छा को जगानेवाले कामदेव ही हैं.
लेकिन सवाल है कि कामदेव से ऐसा कौन सा अपराध हो जाता है कि स्वयं भगवान शिव अपनी तीसरी आंख से कामदेव को जलाकर भस्म कर देते हैं.
पौरणिक मान्यताओं के मुताबिक कामदेव को भस्म करने की कहानी कुछ ऐसी है.
सती के वियोग में शिव ने ली समाधि
शिवपुराण की एक कथा के मुताबिक एक बार राजा दक्ष ने विशाल यज्ञ का आयोजन किया था. इस यज्ञ के दौरान अपने और अपने पति शिव का अपमान न सह पाने की वजह से माता सती ने हवन कुंड की पवित्र अग्नि में कूदकर आत्मदाह कर लिया.
माता सती के आत्मदाह की खबर सुनते ही शिव क्रोध में आकर तांडव करने लगे. उनके तांडव से पूरे संसार में हाहाकार मच गया. इससे घबराए देवताओं ने भगवान शिव से तांडव रोकने का आग्रह किया. जिसके बाद शांत होकर हज़ारों वर्षों के लिए भोलेनाथ समाधि में लीन हो गए.
तारकासुर का देवलोक में आतंक
भगवान शिव की समाधि के दौरान ही राक्षस तारकासुर ने अपने तप से ब्रह्मा जी को प्रसन्न करके ऐसा वरदान मांग लिया, जिससे उसकी मृत्यु केवल शिव पुत्र द्वारा ही हो सकती थी. तारकासुर को लगता था कि शिव कभी समाधि से बाहर नहीं आएंगे. इसके चलते वो खुद को अमर समझने लगा और स्वर्ग लोक में आतंक मचाने लगा.
तारकासुर के वध के लिए भगवान शिव का विवाह करना ज़रूरी था और उतना ही ज़रूरी था उनका समाधि से बाहर आना.
भगवान शिव को समाधि से जगाने के लिए सभी देवताओं ने कामदेव को सेनापति बनाकर यह कार्य सौंप दिया.
कामदेव ने की शिव की तपस्या भंग
कामदेव शिव तपोस्थली पर पहुंचे और तरह-तरह के प्रयोग करके शिव का ध्यान भंग करने में लग गए. ताकि शिव और पार्वती का मिलन हो सके.
कामदेव ने खुद को आम के पेड़ के पत्तो के पीछे छुपाकर शिवजी पर पुष्प बाण चलाया, जो सीधे भगवान शिव के हृदय में जा लगा. पुष्प बाण की वजह से शिवजी की समाधि टूट गई और कामदेव उनकी तपस्या भंग करने में सफल हो गए.
शिव की तीसरी आंख ने कामदेव को भस्म किया
अपनी समाधि टूट जाने से भगवान शिव बहुत क्रोधित हो गए, क्रोध में आकर उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल ली और आम के पेड़ के पत्तो के पिछे खड़े कामदेव को भस्म कर दिया.
कामदेव को फिर से जीवनदान
कामदेव की पत्नी रति अपने पति के भस्म को देखकर रोने लगी और भोलेनाथ से विनती करने लगी कि उसे उनका पति फिर से लौटा दें. जिसके बाद शिव ने उन्हें आश्वासन दिया कि द्वापर युग में भगवान कृष्ण के पुत्र के रुप में फिर से कामदेव जन्म लेंगे.
आज भी मौजूद है तपोस्थली ‘कामेश्वर धाम कारो’
उत्तर प्रदेश के बलिया में मौजूद है कामेश्वर धाम.
इस धाम को लेकर मान्यता है कि यही वो जगह है जहां शिव ने कामदेव को जलाकर भस्म किया था.
इसके प्रमाण के तौर पर आज भी यहां वह आधा जला हुआ, हरा भरा आम का पेड़ है, जिसके पीछे छिपकर कामदेव ने समाधि मे लीन भोले नाथ को जगाने के लिए पुष्प बाण चलाया था.
ये थी कामदेव को भस्म करने की कहानी.
गौरतलब है कि कामदेव ने न सिर्फ भगवान शिव की तपस्या भंग की थी बल्कि ऐसा करके उन्होंने शिव को क्रोध भी दिलाया था. और जब भगवान शिव क्रोध में आकर अपनी तीसरी आंख खोलते हैं तो उनकी क्रोधाग्नि में हर कोई भस्म हो जाता है जैसे कामदेव भस्म हुए थे.
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